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अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर स्थित मंदिर गिराकर वहां बाबरी मस्जिद बनाई गई थी, यह यहां दो बार किए गए पुरातत्व विभाग के उत्खनन से उजागर हुआ था । उच्चतम न्यायालय ने भी पुरातत्व विभाग के उत्खनन की रिपोर्ट को मानकर यह भूमि श्रीराम मंदिर की है, ऐसा निर्णय दिया था । अब ज्ञानवापी मस्जिद का ऐतिहासिक सत्य इस उत्खनन से उजागर होकर वहां प्राचीन काशी विश्वनाथ मंदिर था और वहां भव्य स्वयंभू शिवलिंग है, यह सामने आएगा ।
वाराणसी (उत्तर प्रदेश) – काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद मामले में वाराणसी जलदगती न्यायालय ने पुरातत्व विभाग को सर्वेक्षण करने की अनुमती दी है । इस सर्वेक्षण का पूरा खर्च उत्तर प्रदेश सरकार करेगी और सर्वेक्षण पूर्ण होने पर उसकी रिपोर्ट प्रस्तुत करे, ऐसा भी न्यायालय ने दिए आदेश में कहा है । दिसंबर २०१९ में अधिवक्ता विजय शंकर रस्तोगी ने इस संबंध में याचिका प्रविष्ट कर मांग की थी । उसे जनवरी २०२० में अंजुमन इंतजामिया मस्जिद समिती ने चुनौती दी थी । अधिवक्ता विजय शंकर रस्तोगी ने बताया कि, पुरातत्व विभाग ५ लोगों का दल बनाकर इस परिसर का सर्वेक्षण कर उत्खनन करेगा ।
वर्ष १९९१ में पहली बार दिवानी न्यायालय में स्वयंभु ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वर की ओर से ज्ञानवापी में पूजा करने की अनुमती मांगने वाली याचिका प्रविष्ट की गई थी । काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण २ सहस्र ५० वर्ष पूर्व महाराजा विक्रमादित्य ने किया था; लेकिन वर्ष १६६४ में मुगल बादशाह औरंगजेब ने यह मंदिर गिरा दिया था और उसके अवशेषों का प्रयोग कर मस्जिद बनाई थी । उसे ही आज ज्ञानवापी मस्जिद के नाम से जान जाता है । इस याचिका के माध्यम से मंदिर की इस भूमी पर से मस्जिद हटाने का आदेश देने की मांग करने के साथ मंदिर ट्रस्ट के पास उसका नियंत्रण देने की मांग की गई थी । इसी याचिका पर यह निर्णय दिया गया है ।