भारत के ७ पडोसी देशों में हिंदूओं की स्थिति चिंताजनक !

सेंटर फॉर डेमोक्रेसी प्लुरलिज्म ऐंड ह्यूमन राइट्स की रिपोर्ट !

भारत के हिंदूओं की स्थिति जहां अच्छी नहीं, वहां अन्य देशों मे हिंदुओं की और वह भी इस्लामी देशों के हिंदुओं की स्थिति कभी अच्छी हो सकती है क्या ? यह स्थिति बदलने के लिए सबसे पहले भारत के हिंदूओं की स्थिति अच्छी करने के लिए यहां हिंदु राष्ट्र की स्थापना करनी चाहिए । ऐसा होने पर अन्य देशों के हिंदुओं पर अत्याचार करने का कोई भी दु:साहस नहीं करेगा !

नई दिल्ली – सेंटर फॉर डेमोक्रेसी प्लुरलिज्म ऐंड ह्यूमन राइट्स द्वारा (सी.डी.पी.एच.आर. ने) प्रस्तुत किए हुए मानवाधिकार रिपोर्ट कें भारत के तिब्बत, पाकिस्तान, बांगलादेश, अफगानिस्तान, मलेशिया, इंडोनेशिया और श्रीलंका इन देशों के हिंदूओं की स्थिति पर चिंता व्यक्त की है । शिक्षा विशेषज्ञ, अधिवक्ता, न्यायाधीश, पत्रकार और संशोधक इनके गुट ने इन देशों की नागरी समानता, उनकी प्रतिष्ठा, न्याय और लोकतंत्र के आधार पर यह रिपोर्ट बनाई है ।

१. इस रिपोर्ट में पाकिस्तान के धार्मिक अल्पसंख्यक, उसी प्रकार शिया और अहमदिया इन अल्पसंख्यकों की परिस्थिति अत्यंत खराब है ऐसा कहा गया है । अहमदिया मुसलमानों द्वारा ‘अजान’ शब्द का प्रयोग करना भी गुनाह है । पाक में अल्पसंख्यक हिंदू, सिख और ईसाई धर्म के युवतियों का अपहरण, बलात्कार, बल प्रयोग कर धर्मांतरण, ऐसी घटनाएं बडे प्रमाण में हो रही हैं । ‘पाक में अल्पसंख्यकों की परिस्थिति अत्यंत विकट है’, ऐसा सी.डी.पी.एच.आर. की अध्यक्षा प्रेरणा मल्होत्रा ने बताया ।

२. बांगलादेश के ढाका विद्यापीठ के प्राध्यापक अबुल बरकर द्वारा दी रिपोर्ट के अनुसार पिछले ४ दशकों में प्रतिवर्ष २ लाख ३० सहस्र ६१२ अल्पसंख्यकों को जिसमें हिंदू सर्वाधिक है, ऐसों को देश छोडकर जाना पड रहा है । यदि उनका इसी गति से स्थानान्तरण होता रहेगा, तो २५ वर्षों बाद एक भी हिंदू वहां नही रहेगा । वर्ष १९७५ में संविधान संशोधन के माध्यम से ‘सेक्युलरिजम’ यह शब्द निकालकर उसके स्थान पर पवित्र कुरान की आयतों का समावेश किया गया । वर्ष १९९८ में इस्लाम को देश का धर्म घोषित किया गया ।

३. विविध प्रतिबंधों के माध्यम से चीन ने तिब्बत में मानवाधिकारों की स्थिति छिपाने का प्रयास किया है । चीन तिब्बत की सामाजिक, धार्मिक, सांस्कृतिक और भाषा की पहचान नष्ट करने का प्रयास कर रहा है ।

४. मलेशिया में एक कानून है जो भूमिपुत्रों के पक्ष में भेदभाव करता है। यह अल्पसंख्यकों के अधिकारों का भी उल्लंघन करता है।

५. इस रिपोर्ट के अनुसार अफगानिस्तान में मानवाधिकार और अल्पसंख्यकों के विषय में भेदभाव के धोरण पर चिंता व्यक्त की गई है । अफगानिस्तान के संविधान के अनुसार कोई भी मुसलमान व्यक्ति देश का राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री हो सकता है । वर्ष १९७० की जनसंख्या के अनुसार यहां ७ लाख हिंदू और सिख थे । अब केवल २०० हिंदू और सिख परिवार शेष बचे हैं ।

६. श्रीलंका में २६ वर्ष चले गृहयुद्ध में १ लाख लोगों की जान गई और २० सहस्र तमिल हिंदू लापता हुए, ऐसा इस रिपोर्ट में कहा गया है ।

७. इंडोनेशिया में भी पिछले कुछ वर्षों में धार्मिक कट्टरता और असहिष्णुता बढी है । वर्ष २००२ के बाली में हुए बम विस्फोट के पीछे देश के एक बडे धार्मिक इस्लामी नेता का नाम सामने आया था । वर्ष २०१२ में हिंदूओं के ऊपर आक्रमण के साथ अनेक घटनाएं अल्पसंख्यकों के विरुद्ध देखने को मिली थीं ।