नाथ संप्रदाय के गहन अध्ययनकर्ता और सनातन संस्था के कार्य के प्रति आत्मीयता रखनेवाले नगर निवासी पू. (प्रा.) अशोक नेवासकरजी का देहत्याग

पू. (प्रा.) अशोक नेवासकरजी

     नगर (महाराष्‍ट्र) – यहां के संत पू. (प्रा.) अशोक नेवासकरजी (आयु ७९ वर्ष) ने १२ मार्च २०२१ की रात को अपने निवासस्‍थान पर देहत्‍याग किया । देहत्‍याग के पूर्व रात को उन्‍हें हृदयविकार का दौरा पडा था । उनके पश्‍चात परिवार में पत्नी, पुत्र, पुत्री, जमाई और पौत्र-पौत्री हैं । सनातन परिवार नेवासकरजी के परिवार के दुःख में सहभागी है ।

सनातन संस्‍था और पू. (प्रा.) अशोक नेवासकरजी !

     पू. (प्रा.) अशोक नेवासकरजी को सनातन के कार्य के प्रति आत्‍मीयता थी । उन्‍होंने ‘महर्षि अध्‍यात्‍म विश्‍वविद्यालय’ के लिए हर संभव सहायता करने की तैयारी भी दर्शाई थी । पू. नेवासकरजी के पास ग्रंथ एवं ज्ञान की विराट शक्‍ति थी । उन्‍होंने अपने ग्रंथों की अनमोल धरोहर महर्षि अध्‍यात्‍म विश्‍वविद्यालय के लिए दान दी । पू. नेवासकरजी को सनातन संस्‍था व परात्‍पर गुरु डॉ. आठवलेजी के प्रति अपार प्रेम था । वे श्रीचित्‌शक्‍ति (श्रीमती) गाडगीळजी से संपर्क कर साधकों का हालचाल पूछते । सनातन के कार्य में आनेवाली अडचनें दूर होने हेतु उन्‍होंने मंत्रोपाय दिए और हिन्‍दू राष्‍ट्र की स्‍थापना हेतु एवं साधकों की रक्षा के लिए समय-समय पर प्रार्थना भी की । पू. नेवासकरजी के माध्‍यम से सनातन के कार्य को प्रत्‍यक्ष नवनाथों के आशीर्वाद प्राप्‍त हुए हैं और उनके आशीर्वाद के कारण ही सनातन का कार्य वेग से बढ रहा है ।