नवसंवत्सर पर नई वस्तुएं खरीदने अथवा कार्य करने में समय एवं धन
व्यय करने की अपेक्षा भावी युद्धकाल में प्राणरक्षा होने हेतु तैयारी एवं व्यय करें !
नवसंवत्सर आरंभ अर्थात चैत्र शुक्ल प्रतिपदा अथवा गुडी पडवा हिन्दुओं का वर्ष आरंभ है । यह युगादि तिथि शास्त्र अनुसार साढे तीन मुहूर्तों में से एक है । इसलिए इस दिन शुभ कार्य किए जाते हैं अथवा कार्य का नया संकल्प किया जाता है । नई वस्तुएं खरीदने एवं कार्य के शुभारंभ के लिए यह दिन शुभ माना जाता है; परंतु वर्तमान में देश और विश्व संक्रमण काल में है । वैश्विक स्तर पर फैली महामारी, आर्थिक मंदी, युद्ध जन्य स्थिति इत्यादि सभी आपातकाल के लक्षण हैं । आगामी दो-तीन वर्ष प्रतिकूल काल होगा । इस काल में संसार में अत्यधिक प्राणहानि तथा अर्थहानि होने की आशंका है । बाजार में मिलनेवाली ब्रेड भी महंगी प्रतीत हो, ऐसी परिस्थिति निर्माण होनेवाली है । काल की यह गति ध्यान में रख, नववर्ष पर नई वस्तुएं खरीदने अथवा कार्य करने में समय और धन व्यय करने की अपेक्षा, इस भावी युद्धकाल में प्राणरक्षा होने हेतु तैयारी एवं व्यय करना उपयुक्त होगा । इस युद्धकाल के उपरांत संसार को विश्व कल्याणकारी व्यवस्था दिलाने के लिए भारत में रामराज्य रूपी हिन्दू राष्ट्र अवतरित होना आवश्यक है । इसलिए हिन्दुओ, इस नवसंवत्सर पर भारत में विश्व कल्याणकारी हिन्दू राष्ट्र स्थापित करने हेतु सक्रिय होने का नवसंकल्प करो ।
– (परात्पर गुरु) डॉ. जयंत आठवले, संस्थापक, सनातन संस्था