पाक के हिंदुओं की, इसे गांधीगीरी कहेंगे या बेबसी ? पाक के हिंदू इसके अतिरिक्त और क्या कर सकते हैं ? मंदिरों पर आक्रमण करने वाले कल इन हिंदुओं पर आक्रमण कर उनको जान से मारने का डर होने के कारण हिंदुओं द्वारा उनको क्षमा करना मजबूरी है, इसमें कोई शक नहीं !
पेशावर (पाकिस्तान) – पिछले वर्ष ३० दिसंबर के दिन स्थानीय मौलवीय और जमात-उलेमा-ए-इस्लाम इस जिहादी पार्टी के सदस्यों के नेतृत्व में धर्मांधों की भीड ने खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में कारक जिले के तारी गांव में हिंदुओं के प्राचीन मंदिरों की और वहां स्थित श्री परमहंसजी महाराज की समाधि की तोडफोड की, साथ ही आगजनी भी की थी । इस मामले में वहां के हिंदुओं ने मंदिरों की तोडफोड और आगजनी करने वाले धर्मांधों की भीड को क्षमा करने का निर्णय लिया है । यह विवाद सुलझाने के लिए स्थानीय धार्मिक नेता और हिंदुओं के नेताओं के बीच हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया ।
As per the dialogue, informally called 'jigra', the accused have tendered an apology over the attack and a similar incident in 1997. The Muslim clerics have assured full protection to the Hindus and their rights as per the country's Constitution.https://t.co/G75VrIeCsm
— The Hindu (@the_hindu) March 14, 2021
१. ‘जिग्रा’ नाम की इस अनौपचारिक बैठक में आरोपियों ने इस मंदिर पर, उसी प्रकार वर्ष १९९७ में इसी प्रकार के आक्रमण के लिए क्षमा मांगी । इसके बाद ‘देश के संविधान के अनुसार हिंदुओं के और उनके अधिकारों की रक्षा की जाएगी’, ऐसा आश्वासन यहां के मुसलमान नेताओं ने इस समय दिया । (इस आश्वासन पर कौन विश्वास करेगा ? ऐसे बोलना, यह नाटक है ! – संपादक) इस बैठक में यह स्वीकार किया गया कि समझौते की कॉपी उच्चतम न्यायालय में प्रस्तुत की जाएगी, ऐसा भी उन्होंने स्पष्ट किया । (न्यायालय में धर्मांधों पर चल रहा मुकदमा रहित होने के लिए वहां के नेता किस प्रकार प्रयास कर रहे हैं, यह इससे दिखाई दे रहा है ! – संपादक)
२. पाकिस्तान हिंदू परिषद के अध्यक्ष तथा स्थानीय तेहरीक-ए-इंसाफ इस पार्टी के विधायक रमेश कुमार ने कहा कि, इस घटना ने विश्वभर के हिंदुओं की भावनाओं को दुखी किया है । खैबर पख्तूनख्वा के मुख्यमंत्री महमूद खान की अध्यक्षता में इस जिग्रा की कार्यवाही हुई ।
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३. मंदिर तोडफोड मामले में ५० लोगों को हिरासत में लिया गया था । इस घटना के बाद भारत ने पाकिस्तान से कठोर शब्दों में विरोध व्यक्त किया था । उसी प्रकार अल्प संख्यक समाज के ऊपर बारबार होने वाली ऐसी घटनाएं और अत्याचारों के मामले में विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तान उच्चायुक्त के पास गंभीर चिंता व्यक्त की थी । दूसरी ओर पाक के उच्चतम न्यायालय ने भी खबर पख्तूनख्वा सरकार को यह मंदिर पुन: बनाने का आदेश दिया था ।