सनातन के साधकों को महत्त्वपूर्ण सूचना तथा सनातन प्रभात’ के पाठकों को विनती !
सनातन संस्था का कार्य पूर्वी उत्तर भारत के कुछ स्थानों पर चल रहा था, ऐसे क्षेत्रों में सनातन संस्था और परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के नाम का दुरुपयोग कर कुछ लोग ‘सनातन प्रभात’ के पाठकों तथा सनातन के साधकों को भ्रमित कर रहे हैं, ऐसा ध्यान में आया है । इसके कुछ उदाहरण आगे दिए हैं ।
उदाहरण १. ‘परात्पर गुुरु डॉ. आठवलेजी मुझे अंदर से सुझाते हैं’, ऐसा झूठ बोलकर
अ. साधकों और पाठकों को विविध मंत्रजप अथवा नामजप करने हेतु कहा जाता है ।
आ. आध्यात्मिक उपचारों के लिए विविध उत्पाद बनाकर वे साधकों और पाठकों को बेचते हैं ।
इ. साधकों और पाठकों को आपातकाल के संदर्भ में भी स्वयं के मनानुसार कृत्य बताते हैं ।
ई. साधकों और पाठकों का मनानुसार वॉट्सएप ग्रुप बनाकर उसके द्वारा भी उक्त कृत्य करते हैं ।
ऐसे विविध कृत्य करते हैं, यह ध्यान में आया है ।
(‘सनातन प्रभात’ के पाठक और सनातन संस्था के साधक ऐसे व्यक्तियों से सावधान रहें । परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी किसी को भी भीतर से सुझाकर उक्त प्रकार के कृत्य करने हेतु अथवा अन्यों को करने हेतु कहें, यह नहीं बताते । साधकों और समाज के लिए परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी का मार्गदर्शन समय-समय पर ‘सनातन प्रभात’ में तथा सनातन के विभिन्न ग्रंथों में प्रकाशित होता है । इसलिए ‘सनातन प्रभात’ के पाठक और सनातन के साधक ‘सनातन प्रभात’ और सनातन के ग्रंथों में प्रकाशित मार्गदर्शन को प्रमाण मानकर तथा सनातन के धर्मप्रसारक संतों द्वारा किए मार्गदर्शन अनुसार ही साधना और सेवा करें ।)
उदाहरण २. ऐसे ही एक स्थान पर कोरोना विषाणु के प्रादुर्भाव से लागू संचारबंदी के समय एक पाखंडी ने एक साप्ताहिक सत्संग आरंभ किया । इस परिसर में कुछ वर्षों पूर्व सनातन का सत्संग होता था । उस समय सनातन के सत्संग में आनेवाले जिज्ञासुआें को इस नए सत्संग में बुलाया गया । इस सत्संग के एक जिज्ञासु ने बताया कि उसके परिवार के एक सदस्य का स्वास्थ्य ठीक नहीं है, तब उस पाखंडी ने एक लॉकेट उस जिज्ञासु को उपचार हेतु दिया और उसके साथ एक मंत्र भी दिया तथा उन्हें आश्वस्त किया कि उस सदस्य का स्वास्थ्य अब ठीक हो जाएगा । इसके लिए उस पाखंडी ने जिज्ञासु से १५०० रुपए लिए ।
(सनातन संस्था के संस्थापक परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी को उनके गुरु संत भक्तराज महाराजजी ने अध्यात्म का ज्ञान निःशुल्क दिया है । परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी ने उनकी ही सीख का अनुसरण करते हुए सनातन का कार्य निःशुल्क प्रारंभ किया और अभी भी निःशुल्क ही चल रहा है । सनातन के सत्संग, प्रवचन, बालसंस्कारवर्ग, प्रदर्शनियां आदि सभी अध्यात्मप्रसार का कार्य निःशुल्क चलता है । सनातन का साधक बनना, सत्संग में सहभागी होना, किसी प्रकार का मार्गदर्शन अथवा आध्यात्मिक उपचार बताने, सनातन के आश्रम देखना आदि के लिए किसी स्वरूप का मूल्य नहीं लिया जाता । इसलिए ‘सनातन प्रभात’ के पाठक और सनातन के साधक ऐसे पाखंडियों से सावधान रहें ।)
उदाहरण ३. इस सत्संग के अन्य एक प्रसंग में भावी आपातकाल के संबंध में अयोग्य जानकारी देने के कारण एक जिज्ञासु के मन में सनातन संस्था के आपातकाल से संबंधित प्रकाशन के प्रति संदेह निर्माण हुआ ।
(इस प्रकार सनातन संस्था और परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के नाम अथवा सीख का अनुचित उपयोग हो रहा है, ऐसा ध्यान में आए, तो उसके विरुद्ध कानूनी कार्यवाही करने के लिए उसकी जानकारी हमें निम्नांकित पते पर तुरंत सूचित करें ।)
– श्री. वीरेंद्र मराठे, न्यासी, सनातन संस्था.
नाम और संपर्क क्रमांक : श्रीमती भाग्यश्री सावंत – 7058885610
संगणकीय पता : [email protected]
पता : श्रीमती भाग्यश्री सावंत, द्वारा ‘सनातन आश्रम’, २४/बी, रामनाथी, बांदिवडे, फोंडा, गोवा.
पिन – ४०३४०१