पिछले ७४ वर्षों में पाक में एक भी नया मंदिर नहीं बना !

प्राचीन और पुराने मंदिरों पर भू माफियाओं का नियंत्रण

इस्लामी देश पाक में इससे अलग स्थिति और क्या हो सकती है ? इस विषय में भारत के धर्मनिरपेक्षवादी और आधुनिकतावादी नहीं बोलेंगे, यह ध्यान दें, अब भारत सरकार को ही इन मंदिरों की और हिंदूओं की रक्षा के लिए कदम उठाना आवश्यक !

इस्लामाबाद (पाकिस्तान) – भारत का विभाजन होकर पाकिस्तान बनने के बाद हिंदूओं का वहां एक भी नया मंदिर नहीं बना है, २८६ मंदिर न्यायालयों में मुकदमे के कारण बंद हुए । ऐतिहासिक मंदिर खंडहर हो गए हैं । उनकी देखभाल और दुरुस्ती के लिए सरकार सहायता नहीं करती है । पाक की जनसंख्या में लगभग २.५ प्रतिशत (७५ लाख) हिंदू हैं । इतनी बडी संख्या होने पर भी विभाजन के ७४ वर्षों बाद भी पाक में मंदिर नहीं बनाया गया । स्थिति ऐसी है कि, २ सहत्र वर्ष पुराने ऐतिहासिक मंदिरों के साथ अनेक धार्मिक स्थलों पर भू माफियाओं का नियंत्रण है । ऐसी जानकारी पाक के हिंदू और सिख भारत में जाने के बाद उनके धार्मिक स्थलों की देखभाल का दायित्व होने वाले इवैन्यू ट्रस्ट प्रापर्टी बोर्ड के (ई.टी.पी.बी.) तारिक वजीर ने देने का वृत्त दैनिक ‘दिव्य मराठी’ ने दिया है । पिछले वर्ष दिसंबर में खैबर पख्तूनख्वा में जमियत उलेमा-ए- इस्लाम पार्टी के लोगों ने एक मंदिर को आग लगाई थी । इसके बाद उच्चतम न्यायालय ने अल्पसंख्यकों के धार्मिक स्थलों की स्थिति जानकर लेने के लिए आयोग की स्थापना की है ।

१. तारिक वजीर की जानकारी के अनुसार पाक में सबसे अधिक २७५ मंदिर पंजाब में हैं । हिंदूओं की सबसे अधिक जनसंख्या वाले सिंध में ५३, खैबर पख्तूनख्वा में २५ और बलुचिस्तान में १२ मंदिर हैं । वर्तमान स्थिति में १४ मंदिरों की देखभाल ई.टी.पी.बी. करती है, और ६५ का दायित्व हिंदूओं के पास है ।

२. पेशावर के गोरघत्री में नाथ संप्रदाय का गोरखनाथ मंदिर १९ वीं शताब्दी के मध्य में बांधा गया था । विभाजन के समय हुए दंगों में मदिर बंद किया गया था । मंदिर को २०११ में लंबी कानूनी लड़ाई के बाद पेशावर उच्च न्यायालय के आदेश से फिर से खोल दिया गया था।

३. मंदिर की व्यवस्था देखने वाले सरपंच काका राम ने बताया कि २०० वर्ष पुराने इस मंदिर के अनेक भाग अभी भी मूल रुप में हैं । पुरातत्व विभाग ने मंदिर को ‘राष्ट्रीय धरोहर स्थल’ घोषित किया; लेकिन इसे बचाने और बनाए रखने के लिए कुछ भी नहीं किया गया है। ऐतिहासिक मंदिर को बचाकर रखना चाहिए; इसलिए हम व्यक्तिगत स्तर पर ही कुछ करते हैं। मरम्मत नहीं की गई ,तो यह मंदिर एक दिन ढह जाएगा ।

४. कोहाट के एक हिंदू नेता राजेश चंद ने कहा, हमने मंदिर में एक विशेष पूजा का आयोजन किया है। हम पेशावर के हमारे समुदाय के लोगों को एक-दूसरे से जुड़े रहने के लिए आमंत्रित करते हैं ।

सहस्रो वर्ष प्राचीन पंज तीरथ मंदिर की जगह पर बनाया पार्क !

प्राचीन पंज तीरथ मंदिर
  • पेशावर के प्राचीन मंदिर पंज तीरथ को वर्ष २०१९ में ‘राष्ट्रीय धरोहर’ घोषित किया गया और पूजा के लिए खोलने की घोषणा की गई; लेकिन वैसा हुआ नहीं । खैबर पख्तूनख्वा संग्रहालय के संचालक डा. अब्दुल समद ने बताया कि, पंज तीरथ का उल्लेख ‘महाभारत’ के साथ अन्य पवित्र ग्रंथों में है । मंदिर परिसर में पांडवों के नाम पर ५ कुंड थे; लेकिन अब अवशेष शेष बचे हैं । बडे हिस्से पर नियंत्रण कर चाचा युनूस पार्क बनाया गया है । पेशावर हिंदू पंचायत के राजपूत वेलफेयर सोसायटी के अध्यक्ष अनिल कुमार ने बताया कि, यह मंदिर यहां के महत्वपूर्ण जी.टी. मार्ग पर होने से भूमि की कीमत करोडों में है; इसलिए भू माफियाओं की भूमि पर नजर है ।
चाचा युनूस पार्क

  • पेशावर के धार्मिक नेता पंडित हारूण दयाल ने कहा कि, यहां ४-५ मंदिर ऐसे हैं, जहां हिंदू नियमित पूजा के लिए आते हैं, ११ मंदिर मुकदमों के कारण बंद हैं । वहां पूजा करने की अनुमति नहीं है ।