‘अखंड भारत’ की आवश्यकता पर सरसंघचालक का आग्रह !
भाग्यनगर (तेलंगाना) – हिन्दू धर्म के आधार पर दुनिया के कल्याण हेतु एक गौरवशाली ‘अखंड भारत’ बनाना संभव है; किंतु यह बल द्वारा नहीं किया जा सकता । इसके लिए देशभक्ति की भावना जागृत करना आवश्यक है, सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने यहां एक पुस्तक विमोचन समारंभ में ऐसा कहा ।
Report | 'Akhand Bharat' possible through 'Hindu Dharma', says RSS chief Mohan Bhagwat.https://t.co/oKGegONDTl
— TIMES NOW (@TimesNow) February 25, 2021
सरसंघचालक द्वारा प्रस्तुत सूत्र
१. आपको उन पर (पाकिस्तान और बांग्लादेश) दबाव नहीं डालना होगा । हम उन्हें आपस में जोडने की बात कर रहे हैं । जब हम एक अखंड भारत की बात करते हैं, तो हम इसे शक्ति के बल पर नहीं, अपितु सनातन धर्म के आधार पर प्राप्त करना चाहते हैं ।
सनातन धर्म मानवता और पूरे विश्व का धर्म है और वर्तमान में इसे ‘हिन्दू धर्म’ कहा जाता है । ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ के आधार पर पूरे विश्व में प्रसन्नता और शांति स्थापित की जा सकती है ।
Akhand Bharat possible, will be good for Pakistan, says RSS chief Mohan Bhagwat https://t.co/9KxPAYU1Lm via @TOIHyderabad pic.twitter.com/2PjNRIVZby
— The Times Of India (@timesofindia) February 26, 2021
२. अब उन भागों को जोडना आवश्यक है जो स्वयं को भारत का भाग नहीं मानते । इन देशों ने वह सब कुछ किया जो वे कर सकते थे; किंतु वे संतुष्ट नहीं हैं । उनके संकट का समाधान पुन: भारत के साथ जुडने में ही है, यही उनकी सभी समस्याओं का समाधान करेगा ।
३. गांधार का रूपांतर अफगानिस्तान में हुआ, पाकिस्तान का निर्माण हुआ । क्या उनकी स्थापना उपरांत वहां शांति है?
४. जब नेहरू से विभाजन के विषय में पूछा गया, तो उन्होंने इसे नकारते हुए कहा कि यह एक मूर्ख व्यक्ति का सपना है । विभाजन से पूर्व ६ महीने तक, कोई भी विश्वास नहीं कर सकता था कि विभाजन होगा; किंतु वह हुआ ।
५. लॉर्ड वेवेल ने अपनी संसद में ब्रिटिश शासन की अवधि में कहा था, ‘भारत ईश्वर द्वारा बनाया गया है, इसे कौन विभाजित कर सकता है?’ जो असंभव लग रहा था, वह हो गया । अभी भी ‘अखंड भारत’ जो असंभव प्रतीत होता है, उसकी स्थापना की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है; क्योंकि आज इसकी आवश्यकता है ।