केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री की उपस्थिति में शोध प्रबंध प्रकाशित
कोरोना के काल में आयुर्वेदिक चिकित्सा द्वारा कोरोना के रोगियों को स्वस्थ तथा रोगमुक्त किए जाने के अनेक उदाहरण सामने आए थे । इस परिप्रेक्ष्य में आयुर्वेद को प्राथमिकता देते हुए इस औषधि को सामान्य जनता तक पहुंचाने का कार्य सरकार द्वारा ही किया जाना अपेक्षित था ! अभी तो सरकार को ‘आत्मनिर्भर भारत’ की पृष्ठभूमि पर योगऋषि रामदेव बाबा के शोध पत्र का अध्ययन करना चाहिए तथा यदि उसमें कोई तथ्य हो, तो उसे समाज तक पहुंचाना आवश्यक है !
नई देहली – योगऋषि रामदेव बाबा की पतंजलि योगपीठ निर्मित औषधि ‘कोरोनिल’ कोरोना पर प्रभावी होने का दावा पुनः एक बार स्वयं रामदेव बाबा ने किया है । इस हेतु उन्होंने एक शोध प्रबंध भी प्रकाशित किया है । इस अवसर पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी भी उपस्थित थे । इससे पूर्व, आयुष मंत्रालय ने इस औषधि को ‘कोरोना पर (उपचारात्मक) औषधि’ कहने को विरोध दर्शाते हुए उसे अनुमोदित करने से अस्वीकृत कर दिया था । तत्पश्चात, जब योगऋषि रामदेव बाबा अपने दावे से पीछे हटे थे, तो इसे ‘रोग प्रतिरोधक क्षमता बढाने वाली गोली’ के रूप में अनुमोदित किया गया एवं उसी प्रकार उसका प्रसार करना आरंभ किया गया ।
१. योगऋषि रामदेव बाबा द्वारा प्रकाशित शोध प्रबंध के अनुसार ‘कोरोनिल’ ‘कोविड-१९’ पर पहली साक्ष्य-आधारित औषधि है । उन्होंने यह भी कहा कि उसे औषधियों के लिए लागू CoPP-WHO GMP (फार्मास्युटिकल प्रोडक्ट का प्रमाण पत्र) प्रमाणपत्र भी प्राप्त हुआ है । यह प्रमाणपत्र विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी किया गया जाता है ।
२. क्योंकि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय या भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद द्वारा इस संदर्भ में अभी तक कोई निर्देश जारी नहीं किया गया है, कोरोना के उपचार के लिए केवल अनुमोदित ‘कोविशील्ड’ एवं ‘कोवैक्सिन’ टीकों (वॅक्सिन) का उपयोग किया जा सकता है ।
Baba Ramdev launches Patanjali’s 'evidence-based' medicine for Covid-19 https://t.co/rbWjzXWVh3 pic.twitter.com/NgtQNNhanM
— Economic Times (@EconomicTimes) February 19, 2021
(सौजन्य : Oneindia Hindi)