विवादित निर्णय देनेवाली न्यायमूर्ति पुष्पा गनेडीवाला को स्थायी रूप से नियुक्त करने हेतु महाराष्ट्र शासन का नकार !

केवल १ वर्ष की समयसीमा बढाई गई !

समाजहित में बाधा बननेवाले विवादित निर्णय करनेवाले न्यायाधीशों को दंड देने की मांग यदि जनता करे, तो उसमें गलत क्या है ?

न्यायमूर्ति पुष्पा गनेडीवाला

मुंबई – मुंबई उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति पुष्पा वी. गनेडीवाला को स्थायी रूप से न्यायाधीश न बनाने की सर्वोच्च न्यायालय द्वारा की गई सुधारित सिफारिश को स्वीकार करते हुए कानून और न्याय मंत्रालय ने उन्हें और एक वर्ष अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में उनकी समयसीमा बढाई है ।

१. मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना में कहा गया है कि, १ फरवरी से न्यायमूर्ति गनेडीवाला अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में और एक वर्ष बनी रहेंगी । मुंबई न्यायालय के नागपुर खंडपीठ का न्यायाधीश के रूप में काम देखते हुए न्यायमूर्ति गनेडीवाला विवाद के घेरे में फंस गई थीं ।

२. न्यायमूर्ति गनेडीवाला द्वारा दिए गए कुछ निर्णयों में से एक में कहा था कि, ‘प्रत्यक्ष त्वचा से त्वचा को संपर्क में न करते हुए कपडों के ऊपर से स्पर्श करना पॉक्सो कानून के अंतर्गत यौन अत्याचार के पात्र नहीं होंगे ।’ इस प्रकरण में न्यायाधीश ने कपडे न हटाते हुए अवयस्क लडकियों के स्तनों को स्पर्श करनेवाले एक आरोपी को निर्दोष छोड दिया था । इस निर्णय की व्यापक निंदा हुई थी । एटॉर्नी जनरल ऑफ इंडिया द्वारा दी गई याचिका में सर्वोच्च न्यायालय ने इस निर्णय को स्थगित किया है ।