नई दिल्ली : देश में अदालतों द्वारा पारित हर आदेश को चुनौती देने की पद्धति का अंत होना ही चाहिए । शीर्ष न्यायालय ने एक याचिका में कहा, “अगर हमसे ऊपर कोई न्यायालाय होता, तो हमारे आधे से भी अधिक आदेश पलट दिए जाते ।” न्यायालय ने एक किरायेदार को परिसर खाली करने का आदेश देते हुए यह विधान किया है ।
न्यायालय ने आगे कहा कि, जब कनिष्ठ न्यायालयों ने एक जैसे फैसले दिए हों, तब शीर्ष न्यायालय को सावधान रहकर उनमें हस्तक्षेप करना टालना चाहिए । यदि हम हर प्रकरण को सूक्ष्म स्तर पर देखने लगे, तो हम अपना कर्तव्य पूरा नहीं कर सकते, जो यह न्यायालय हमसे अपेक्षा करता है । सर्वोच्च न्यायालय द्वारा कुछ निश्चित सिद्धांतों का पालन किया जाना चाहिए । इस पर चौथे न्यायालय को हस्तक्षेप करने के लिए नहीं कहा जा सकता है । यह प्रक्रिया कहीं न कहीं समाप्त होनी चाहिए ।