देश द्रोही निर्णय लेकर देश की बडे पैमाने पर हानि करने वाले नेहरु देश के गुनहगार हैं ! नेहरू द्वारा लिए गए ऐसे देश द्रोही निर्णय संसद में लगाने चाहिएं और विद्यार्थियों को पाठशालाओं में पढाने चाहिएं । इससे जनता को सत्य इतिहास समझ में आएगा और आगे ऐसे नेताओं को चुनने की गलती जनता नहीं करेगी !
नेहरू द्वारा की गई कुछ विश्वासघाती गलतियां१. भातर के विभाजन को सहमति देना २. विभाजन के बाद भारत को ‘हिंदु राष्ट्र’ घोषित न करना ३. पाक द्वारा वर्ष १९४८ में काश्मीर पर आक्रमण करने पर भारतीय सेना के युद्ध जीतते समय युद्ध रोककर यह विवाद बिना कारण संयुक्त राष्ट्र में ले जाना ४. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत को ५ देशों की स्थायी समिती में जगह मिलने पर भी वो चीन को दी ५. चीन द्वारा तिब्बत हथियाने पर उसका विरोध न करना ६. ‘हिंदी-चीनी भाई भाई’ के स्वप्न में रहकर भारत का ८४ सहस्र चौ. मीटर भू प्रदेश चीन को हथियाने देना |
नई दिल्ली – नेपाल में राजशाही प्रारंभ होने के बाद नेहरू ने वहां लोकतंत्र स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई । नेपाल के राजा त्रिभुवन बीर बिक्रम शहा ने नेपाल को भारत का भाग बनाने का प्रस्ताव सुझाया था; लेकिन नेहरु ने उस प्रस्ताव को नकार दिया था। ‘नेपाल एक स्वतंत्र राष्ट्र है और उसे वैसे ही रहना चाहिए’ ऐसा उनका कहना था; लेकिन उनके स्थान पर इंदिरा गांधी होती, तो उन्होने यह संधि स्वीकार की होती । उन्होंने जैसै सिक्किम के संबंध में कर उसका भारत में विलय किया था, वैसा उन्होंने नेपाल के संबंध में भी किया होता, ऐसा दावा पूर्व राष्ट्रपति दिवंगत प्रणव मुखर्जी ने उनकी ‘द प्रेसिडेंशियल इयर्स’ इस पुस्तक में किया है ।
मुखर्जी ने प्रधान मंत्री मोदी को सलाह देते हुए लिखा है, ‘प्रधानमंत्री मोदी को असंतुष्टों की आवाज सुननी चाहिए । संसद में अधिक बार बोलना चाहिए । विरोधियों को समझाने के लिए और देश के साथ संवाद करने के लिए, नागरिकों को महत्वपूर्ण विषयों की जानकारी देने के लिए उन्हें संसद को प्रयोग एक व्यासपीठ के समान करना चाहिए । प्रधानमंत्री की उपस्थिति में कामकाज पर बहुत फरक पडता है । संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के दौरान में विपक्षी डेमोक्रेटिक फ्रंट के नेताओं के संपर्क में भी था ।