पूर्व में भारतीय स्त्री पवित्रता, शालीनता और नैतिकता की प्रतीक समझी जाती थी; किंतु भातरीय स्त्री का अध:पतन देखते हुए समाज की नैतिकता कितनी पतित हो गई है, यह ध्यान में आता है ! समाज द्वारा शासनकर्ताओं को साधना न सिखाने का यह परिणाम है !
रायपुर (छत्तीसगढ) – अधिकतर युवतियां स्वयं से संबंध रखती हैं ऐर प्रेम टूट जाने पर पुरुषों पर बलात्कार करने का आरोप मढती हैं, छत्तीसगढ राज्य की महिला आयोग की अध्यक्षा किरणमयी नायक ने ऐसा विधान किया है । वे पत्रकारों से बात कर रही थीं ।
छत्तीसगड किरणमयी नायक ने कहा,
१. अधिकतर घटनाएं ऐसी हैं कि ‘लिव इन’ में रहकर सहमति से संबंध रखने के उपरांत भी लडकियां बलात्कार की शिकायत करती हैं । मैं महिलाओं और लडकियों को आवाहन करती हूं कि उन्हें पहले संबंध समझने चाहिए । यदि आप इस प्रकार के संबंध में हैं, तो उसका परिणाम बुरा ही होगा ।
२. यदि कोई विवाहित व्यक्ति किसी युवती से विवाह-बाह्य संबंध रखता होगा, तो ऐसे समय युवती को यह देखना चाहिए कि वह व्यक्ति उसके जीवन में सहायता करने वाला है कि नहीं ? किंतु जब यह संबंध टूटता है, तो अधिकतर प्रसंगों में युवती पुलिस थाने में जाती है ।
३. अल्प आयु की लडकियों को मेरा सुझाव है कि वे किसी के भी प्रेम के जाल में न फंसें । ऐसे में आपका परिवार, मित्र और अपका पूरा जीवन नष्ट हो सकता है । आजकल १८ वर्ष की आयु में विवाह करने का प्रमाण बढा है । आगे कुछ वर्षों के बाद जब बच्चे होते हैं, तब दंपति का साथ रहना कठिन हो जाता है ।
४. अधिकतर पारिवारिक विवाद सुलझाना आयोग का प्रयास है । इसलिए हम महिला और पुरुषों को उनसे हुई गलतियों के विषय में समझाते हैं । उन्हें मार्ग निकालना चाहिए, इसके लिए प्रयत्न करते हैं । काउंसिलिंग ही एक मार्ग है ।