नई दिल्ली – ‘विविधता को जोडने वाला एकमात्र कारक भारत के पास है और हम इसे दुनिया को देना चाहते हैं । अत: भारत पूरे विश्व का नेतृत्व करने में पूरी तरह से सक्षम है’ ; राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक, डॅा. मोहन भागवत ने दूरसंचार प्रणाली द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में यह प्रतिपादन किया । वे ‘वैश्विक परिप्रेक्ष्य में भारत की भूमिका’ विषय पर बोल रहे थे । उन्होंने कहा, “वैश्विक कल्याण के लिए भारत के विचार अधिक प्रभावी हैं और विश्व के सभी प्रश्नों के उत्तर हमारी परंपरा में हैं ।”
गोरखपुर – सरसंघचालक ने प्रमुख संतों से साझा की बात, कुशीनगर के बौद्ध भिक्षु भी रहे आनलाइन शामिल – https://t.co/zaeHCFWcVX pic.twitter.com/prhtfe0oZ9
— India Now24 (@IndiaNow24) November 30, 2020
सरसंघचालक भागवत ने आगे कहा,
१. हम विश्व को लडकर जीतना नहीं चाहते । हम इसके लिए खून नहीं बहाना चाहते । लोगों को प्रबलता के साथ और लालच के जरिए उनकी जडों से अलग नहीं करना चाहते । हम अपने देश के उदाहरण के माध्यम से दुनिया को सभी विषय समझाना चाहते हैं । हम वर्तमान ज्ञान और विज्ञान को भी स्वीकार करना चाहते हैं । कोई नेता ऐसा नहीं कर सकता इसलिए, समाज को ही यह करना होगा ।
२. पूरी दुनिया अमेरिका, रूस और चीन के बीच शीत युद्ध की स्थिति में भारत की ओर देख रही है । अन्य देश, दुनिया को एक बाजार मानते हैं ; किंतु भारत पूरे ब्रह्मांड को एक परिवार मानता है । भारत ‘सभी के लिए खुशी’ चाहता है, भारत की ऐसी सोच है । इसमें किसी को छोटा नहीं माना जाएगा, यही वह विचार है जो भारत देना चाहता है । इसमें विकास, पर्यावरण का संरक्षण, व्यक्ति का सशक्तिकरण और एक मजबूत समाज भी समाहित होगा ।