रायपुर (छत्तीसगढ़) – यहां जामडी का श्री पाटेश्वर धाम, हिंदुओं का पूजास्थल है । माना जाता है कि यह स्थान भगवान श्रीरामचंद्र की माता कौशल्या की जन्मभूमि है, इसलिए इस जगह को विशेष महत्व प्राप्त है । लाखों भक्तों की आस्था और सामंजस्य का केंद्र, श्री पाटेश्वर धाम, पूरे भारत से भक्तों को आकर्षित करता है । इसके अलावा हरिद्वार, प्रयागराज, नासिक एवं उज्जैन में कुंभ मेले में, छत्तीसगढ़ से एकमात्र सेवा शिविर लगाकर, श्री पाटेश्वर धाम सेवा संस्थान, भारत के सर्व सामान्य लोगों और तीर्थयात्रियों को भी सेवा प्रदान करता है ।
यहां गायों की भी सेवा चलती है । श्री पाटेश्वर धाम द्वारा निर्माण कार्य चल रहा है । बालोद के वन विभाग द्वारा धाम के निर्माण के संबंध में नोटिस जारी किया गया है । यह धार्मिक दृष्टिकोण से पूरी तरह से अयोग्य है । सरकार द्वारा की गई इस कार्रवाई से पूरे देश के हिंदू समुदाय के मन में रोष पैदा हो गया है । इस पृष्ठभूमि के विरोध में , हिंदुत्ववादी संगठनों ने २ दिसंबर को राज्यपाल, अनुसुइया उइके को एक ज्ञापन सौंपकर, छत्तीसगढ़ के जामडी स्थित श्री पाटेश्वर धाम की पूर्ण सुरक्षा की मांग की है ।
'आस्था' पर खिलवाड़ से ग्रामीण और हिंदू समाज नाराज़….हिंदू जनजागृति समिति सहित ग्रामीणों ने सौंपा राज्यपाल को ज्ञापन….@HinduJagrutiOrghttps://t.co/p2QCTkLUZa
— Sudarshan News Chhattisgarh (@SudarshanNewsCG) December 2, 2020
इस अवसर पर, राज्यपाल उइके ने इस धाम की रक्षा के लिए हिंदुत्ववादी संगठन के प्रतिनिधि मंडल को आश्वासन दिया है । छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में हिंदू जनजागृति समिति के राज्य संगठक, श्री सुनील घनवट ने एक पत्रकार सम्मेलन के माध्यम से यह जानकारी दी है ।
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राज्यपाल उइके को निवेदन देते हुए, पु. उदय शदानी महाराज, भिलाई के श्री पाटेश्वर धाम संस्थान के श्री दाताराम साहू, सामाजिक कार्यकर्ता, श्री सुभाष आगलावे, गोरक्षक श्री उमेश बिसेन, शदानी दरबार के श्री चन्द्रहास गावरा, श्री दिलीप तलरेजा, हिंदू जनजागृति समिति के श्री हेमंत कानस्कर, श्री मंगेश खंगन, आदि मान्यवर उपस्थित थे । प्रतिनिधि मंडल ने दो बार छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री, भूपेश बघेल से मिलने का समय मांगा, किन्तु उनसे भेंट नहीं हो सकी । बघेल के नाम पर भी एक निवेदन जारी किया गया है ।
जामडी के श्री पाटेश्वर धाम में हो रहे विभिन्न कार्यक्रम और वहां हो रहा विकास !
वर्ष १९७५ में, प.पू. सद्गुरुदेव संत श्री रामजानकीदास महात्यागी का छत्तीसगढ़ के जामडी के श्री पाटेश्वर धाम में आगमन हुआ था । वहां के स्थानिक वनवासियों ने प.पू. महात्यागीजी से इस धाम में रहने का अनुरोध किया, इसलिए इस स्थान पर क्षेत्रीय वनवासियों द्वारा धीरे-धीरे धार्मिक गतिविधियों का आयोजन और निर्माण कार्य किया गया । प्रतिवर्ष माघी पूर्णिमा, हनुमान जयंती, गुरु पूर्णिमा, आदि त्योहारों के दौरान, लगभग २५ से ३० हजार भक्त एक दिन में यहां एकत्रित होते हैं । श्री पाटेश्वर धाम क्षेत्र में आने वाले सभी भक्तों के लिए निःशुल्क महाप्रसाद की व्यवस्था की जाती है । चूंकि यह स्थान माता कौशल्या की जन्मभूमि है, इसलिए इस धाम को २४ करोड़ रुपये की लागत से विकसित किया जा रहा है । पिछले १५ वर्षों में, धाम के निर्माण के लिए ८ करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं । इसमें सभी जातियों के महान व्यक्तित्वों और देवताओं की ४५ मूर्तियाँ स्थापित की गई हैं । प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत, आम लोगों का यहां आना-जाना सरल हो, इसके लिए ५ कि.मी. सडक का निर्माण किया गया है । इसके साथ ही बिजली, पेयजल, मंगल भवन, सामुदायिक भवन, सीसी रोड, कार्य कला मंच का निर्माण किया गया है ।
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इस धाम को नोटिस देने के पहले सरकार को इन सभी बातों पर ध्यान देने की जरूरत थी । सरकार के वन विभाग द्वारा की गई कार्रवाई का हिंदुत्ववादी संगठनों, सामाजिक और धार्मिक संगठनों के साथ-साथ अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद, वैष्णव अखाडे, वैष्णव सम्प्रदाय, महामंडलेश्वर और संतों ने विरोध किया है ।
श्री घनवट ने इस पत्रकार सम्मेलन में कहा है कि, सरकार को इसका ध्यान रखना चाहिए कि प्रशासन द्वारा धार्मिक आस्था पर किये गए किसी भी आक्रमण का हिंदू समुदाय द्वारा कडा विरोध किया जा सकता है ।