वाजिद खान की पत्नी ने ‘लव जिहाद’ विरोधी कानून का किया समर्थन
स्वयं को धर्मनिरपेक्ष कहलानेवाला बॉलिवुड क्या अब एक धर्मांध परिवार द्वारा किए जा रहे पीडित अल्पसंख्यक पारसी महिला के साथ खडा रहेगा अथवा अपनी पाखंडी धर्मनिरपेक्षता दिखाएगा ?
मुंबई – बॉलिवुड के संगीतकार भाई साजिद और वाजिद में से दिवंगत वाजिद खान की पारसी पत्नी कमलरूख खान ने ‘उनपर धर्मांतरण के लिए दबाव डाला जा रहा था’, यह जानकारी देते हुए ‘लव जिहाद’ विरोधी कानून का समर्थन किया है । उन्होंने इस संदर्भ में सामाजिक माध्यमों में पोस्ट लिखी है । उसमें उन्होंने विवाह से १० वर्ष पूर्व से वाजिद के साथ संबंध होने की तथा विवाह के उपरांत उनके जीवन में आए बदलावों की जानकारी दी है ।
कमलरुख ने आगे कहा है कि,
१. ‘मैं पारसी हूं और वाजिद मुसलमान थे । हम महाविद्यालयीन जीवन से एक-दूसरे से परिचित थे । विशेष विवाह कानून के अंतर्गत हमारा विवाह हुआ । इसके कारण आजकल धर्मपरिवर्तन कानून के संदर्भ में चल रही चर्चा मेरे लिए बहुत महत्त्वपूर्ण है । मुझे अंतर्धर्मीय विवाह के संदर्भ में अपना अनुभव बताना है । आज के इस युग में भी किसी महिला को धर्म के नामपर भेदभाव और दुख सहन करना पडता है, यह लज्जाप्रद और आंखें खोलनेवाली बात है ।
२. नैतिक मूल्यों को महत्व देनेवाले लोकतांत्रिक वातावरण में मैं पली-बढी । मुझे विचार की स्वतंत्रता को प्रोत्साहित किया गया और विचार कर की गई चर्चा मुझे स्वीकार थी । सभी स्तरों की शिक्षा के लिए प्रोत्साहित किया गया; परंतु विवाह के उपरांत यही स्वतंत्रता, शिक्षा और लोकतांत्रिक मूल्यव्यवस्था ही मेरे पति के परिवार के लिए सबसे बडी समस्या थी । उन्हें एक शिक्षित, स्वयं की अलग विचारधारावाली और स्वतंत्र महिला नहीं चाहिए थी । धर्मांतरण के लिए मेरा विरोध था और उसके कारण पति-पत्नी के रूप में हमारा संबंध मिट गया । मेरा स्वाभिमान मुझे धर्मांतरण करने के लिए और उसके परिवार के सामने झुकने की अनुमति नहीं दे रहा था ।
कंगणा राणावत का प्रधानमंत्री कार्यालय से प्रश्न !
आप अल्पसंख्यक पारसियों की किस प्रकार रक्षा कर रहे हैं ?
अभिनेत्री कंगणा राणावत ने कमलरूख की पोस्ट के आधारपर ट्वीट करते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय से कुछ प्रश्न पूछे हैं । उन्होंने लिखा है कि कमलरुख मेरे मित्र की विधवा पत्नी और एक पारसी महिला है । उसके ससुराल का परिवार उसे धर्मांतरण करने के लिए कष्ट पहुंचा रहा है । मैं प्रधानमंत्री कार्यालय से यह पूछना चाहती हूं कि जो अल्पसंख्यक होने का नाटक नहीं करते, किसी का सिर नहीं काट देते, दंगें और धर्मांतरण नहीं करते; उन अल्पसंख्यकों की आप किस प्रकार रक्षा कर रहे हैं ? पहले ही पारसियों की जनसंख्या गिर रही है । जो सर्वाधिक नाटक करते हैं, उन्हें ही अधिक लाभ मिलते हैं; परंतु जो पात्र हैं और देखभाल करनेयोग्य हैं; उन्हें कुछ नहीं मिलता । इस बातपर विचार करने की आवश्यकता है ।