घोटाले का आरोपी होनेवालों को केवल भारत में ही शिक्षामंत्री अथवा अन्य मंत्रिपद मिल सकते हैं, इसे ध्यान में लें !
पाटलीपुत्र (बिहार) – बिहार के नवनिर्वाचित सरकार के मंत्रियों का शपथ समारोह संपन्न होने के उपरांत नए मंत्रियों के विभागों की भी घोषणा की गई है । उनमें से जनता दल (संयुक्त) के विधायक मेवालाल चौधरी को शिक्षामंत्री बनाए जाने से अब इस सरकार की आलोचना की जाने लगी है । चौधरी पहले शिक्षक थे । वे जब सबौर कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति थे, तब वर्ष २०१२ में उनपर सहायक प्राध्यापक और कनिष्ठ शोधकर्ताओं की भरती प्रक्रिया में घोटाला करने का आरोप लगाया गया था । इस प्रकरण में वर्ष २०१७ में सबौर पुलिस थानें में अपराध प्रविष्ट किया गया था । न्यायालय ने इस प्रकरण में चौधरी को अग्रिम जमानत दी थी । चौधरी के विरुद्ध आरोपपत्र प्रविष्ट नहीं किया गया है । इस प्रकरण के कारण चौधरी को सीधे शिक्षामंत्री बनाए जाने से सरकार की आलोचना की जा रही है ।
#बिहार में नीतीश सरकार @NitishKumar की ये कैसी मजबूरी है ? मेवालाल चौधरी को शिक्षा मंत्री बना दिया, जिन्हें राज्यपाल रहते हुए रामनाथ कोविंद ने यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर से बर्खास्त किया था. भ्रष्टाचार के आरोप में उनके ख़िलाफ़ विजिलेंस जॉंच चल रही है. pic.twitter.com/X6Fnhoaoop
— पंकज झा (@pankajjha_) November 17, 2020
भाजपा नेता तथा उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद को महत्त्वपूर्ण वित्त विभाग मिला है । विशेष बात यह है कि श्री. प्रसाद ने केवल १२वीं कक्षातक की शिक्षा ली है । इसलिए उनके पास वित्त विभाग जैसा महत्त्वपूर्ण विभाग दिए जाने से भी सरकार के संदर्भ में प्रश्न उठाए जा रहे हैं ।