देश के उच्च न्यायालयों में ५१ लाख तथा कनिष्ठ न्यायालयों में ३ करोड ४४ लाख प्रकरण प्रलंबित

अभियोगों पर शीघ्रातिशीघ्र निर्णय कैसे किए जाएं, इसका विचार अभी तक के शासकों ने नहीं किया है, इसलिए यह स्थिति उत्पन्न हो गई है !

नवी देहली – संपूर्ण देश के उच्च न्यायालयों में १६ सितंबर २०२० तक ५१ लाख से अधिक प्रकरण प्रलंबित हैं, ऐसी जानकारी संसद में दी गई ।

इलाहाबाद उच्च न्यायालय में ७ लाख ४६ सहस्र ६७७ प्रकरण प्रलंबित हैं तथा यह प्रथम क्रमांक पर है । इसके पश्चात पंजाब और हरियाणा के उच्च न्यायालय (६ लाख ७ सहस्र ६९ प्रकरण), मद्रास (५ लाख ७० सहस्र २८२ प्रकरण), राजस्थान (५ लाख ७ सहस्र ७४९ प्रकरण) और मध्यप्रदेश (३ लाख ७५ सहस्र ६३० प्रकरणे) का समावेश है । २५ उच्च न्यायालयों में प्रलंबित अभियोगों की संख्या ५१ लाख ५२ सहस्र ९२१ है तथा उनमें से ३६ लाख ७७ सहस्र ८९ दीवानी प्रकरण और १४ लाख ७५ सहस्र ८३२ आपराधिक के प्रकरण हैं ।

भारत के विविध जनपदों के न्यायालयों में प्रलंबित अभियोगों की जानकारी दी गई । १६ सितंबर को भारत के जिला और उससे कनिष्ठ न्यायालयों में ३ करोड ४४ लाख ७३ सहस्र ६८ से अधिक अभियोग प्रलंबित हैं । इनमें से ९४ लाख ७९ सहस्र २६८ दीवानी अभियोग तथा २ करोड ५० लाख ५३ सहस्र ८०० आपराधिक अभियोग हैं ।