पहले गदर करना और कार्यवाही होने के उपरांत आंदोलन करना, इसे क्या कहें ? क्या इन सांसदों की यह प्रसिद्धीलोलुपता नहीं है ?
नई देहली – कृषि संबंधित विधेयक पारित करने के पश्चात राज्यसभा में गदर करने के कारण आठ सांसदों को निलंबित किया गया । ये आठों सांसद २१ सितंबर से महात्मा गांधी के पुतले के सामने धरना आंदोलन कर रहे हैं । २२ सितंबर को सवेरे राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश सिंह ने स्वयं आंदोलन स्थल पर जाकर सांसदों को चाय ले जाकर दी । इन सांसदों ने चाय पीने से मना कर दिया । इस समय हरिवंश सिंह ने इन अप्रसन्न सांसदों दे संवाद करने का प्रयत्न भी किया ।
प्रधानमंत्री द्वारा उपसभापति की प्रशंसा
Prime Minister @narendramodi showered praise on Harivansh, Rajya Sabha deputy chairperson, said he is blessed with a “humble mind and a big heart” after he went to meet the protesting MPs from the opposition parties and offered them tea https://t.co/F9XQMh9DNl
— Hindustan Times (@htTweets) September 22, 2020
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उपसभापति के इस कृत्य की प्रशंसा की है । इस संबंध में किए गए ट्वीट में उन्होंने कहा है कि, ‘जिन लोगों ने उन पर आक्रमण किया और अपमानित किया, उन्हीं लोगों के लिए हरिवंशजी चाय लेकर गए हैं । इससे उनका बडप्पन दिखाई देता है ।’
गदर के कारण दु:खी हूं, यह बताते हुए उपसभापति का एक दिन का उपवास
इसके उपरांत राज्यसभा में हुए गदर के कारण दुःखी हूं, यह बताते हुए उपसभापति हरिवंश सिंह ने एक दिन का उपवास करने की घोषणा की । हरिवंश सिंह ने इस संबंध में राष्ट्र्रपति रामनाथ कोविंद और राज्यसभा के सभापति व्यंकैय्या नायडू को पत्र लिखकर जानकारी दी है ।
सांसदों का निलंबन लोकतंत्र विरोधी ! – कांग्रेस
कांग्रेस के नेता राहुल गांधी बोले कि, एक तो सांसदों को बोलने नहीं दिया और उनको निलंबित भी किया । इसलिए यह निलंबन ही लोकतंत्रविरोधी है ।
विधेयकों को राज्यसभा में ११० सांसदों का समर्थन तथा ७२ सांसदों का विरोध
केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने आरोप लगाया है कि ‘राज्यसभा में इन विधेयकों को ११० सांसदों का समर्थन प्राप्त था तथा केवल ७२ सांसदों का विरोध था । विरोधी सांसद ये विधेयक पारित होने देना नहीं चाहते थे ।’
निलंबन से बहाल करने तक आंदोलन चलता ही रहेगा ! – निलंबित सांसद
निलंबित सांसदों ने मनोदशा व्यक्त करते हुए कहा है कि ‘हमें निलंबन से बहाल करने तक धरना आंदोलन करते रहेंगे ।’ इस समय आंदोलक सांसद हाथों में ‘हम किसानों के लिए लडेंगे’, ‘संसदीय लोकतंत्र की हत्या’, आदि विवरण लिखे हुए फलक लिए हुए थे । आंदोलन के लिए सांसद स्वयं के साथ सिरहाने और चादरें लाए थे तथा सांसदों को गरमी न लगे, इसके लिए पंखे भी लगाए गए थे ।