ब्रिटेन की संसद में कश्मीरी हिन्दुओं के नरसंहार के विषय पर चर्चा करने के लिए प्रस्ताव प्रस्तुत

  • भारत की नहीं, अपितु ब्रिटेन की संसद में ऐसा प्रस्ताव लाया जाता है, यह भारत के लिए लज्जाजनक !
  • विगत ३ दशकों में कश्मीरी हिन्दुओं पर अत्याचार कर उन्हें पलायन करने के लिए बाध्य करनेवालों में से एक भी व्यक्ति को अभी दंड नहीं मिला है । यह बात अभी तक के सर्वदलीय राज्यकर्ताओं के लिए लज्जाजनक !
बॉब ब्लैकमैन

लंदन (ब्रिटेन) – भारत के कश्मीर से ३० वर्ष पूर्व जिहादी आतंकी और धर्मांधों के कारण पलायन करने पर विवश हिन्दुओं के प्रति सहानुभूति दर्शाने और उनके नरसंहार के संदर्भ में चर्चा करने हेतु ब्रिटेन के सत्ताधारी दल के सांसद बॉब ब्लैकमैन ने संसद में प्रस्ताव प्रस्तुत किया है । इस प्रस्ताव को डेमोक्रैटिक युनियनिस्ट दल के सांसद जिम शैनॉन और लेबर पार्टी के सांसद वीरेंद्र शर्मा का समर्थन मिला है । बॉब ब्लैकमैन ने कहा है कि ‘ब्रिटेन में रहनेवाले भारतीय समुदाय को भी कश्मीरी हिन्दुओं को न्याय मिलने के लिए आवाज उठानी चाहिए । इससे कश्मीरी हिन्दुओं के लिए लाए गए इस प्रस्ताव को बल मिलेगा ।’

१. ‘हाऊस ऑफ कॉमन्स’ में लाए गए ‘अर्ली डे मोशन’ प्रस्ताव के द्वारा यह सहानुभूति दर्शाई गई है । इसके द्वारा कश्मीरी हिन्दुओं के पलायन को ‘नरसंहार’की श्रेणी में रखने की मांग की गई है । भारत सरकार को भी यह आवाहन किया गया है कि संयुक्त राष्ट्रसंघ में नरसंहार का अपराध रोकने हेतु समझौते में सहभागी होने से उसे अपने अंतरराष्ट्रीय कर्तव्य का निर्वहन करने के लिए अलग कानून बनाना चाहिए ।

२. सांसद बॉब ब्लैकमैन ने नियतकालिक ‘इंडिया टुडे’से बात करते हुए कहा कि ३० वर्ष पूर्व स्वयं का घर छोडने पर विवश कश्मीरी हिन्दू आज भी न्याय की प्रतीक्षा में हैं । मैं कश्मीरी हिन्दुओं पर हुए अत्याचार पर विगत ३ दशकों से आवाज उठा रहा हूं । मैंने उनके अधिकारों के लिए अभियान भी चलाया है । भारत में नरसंहार के अपराध के संदर्भ में कोई कानून नहीं है । इसलिए कश्मीरी हिन्दुओं को न्याय मिलने में विलंब हुआ है तथा दोषियों को अभी तक दंड नहीं मिल सका है । ब्रिटेन में नरसंहार के अपराध का दंड सुनिश्चित करने के लिए अलग कानून है; क्योंकि उसने अंतरराष्ट्रीय समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं । मुझे यह आशा है कि भारत भी इस संदर्भ में अपना दायित्व निभाएगा । (एक ब्रिटिश और ईसाई सांसद को यह बताना पडता है, इससे अधिक लज्जाजनक बात और क्या हो सकती है ?- संपादक)

३. बॉब ब्लैकमैन ने कश्मीर में अनुच्छेद ३७० हटाए जाने के पश्चात भारत का समर्थन किया था । तब उन्होंने कहा था कि पूरा कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है । कश्मीर का भारत में विलय हो चुका है; इसलिए पाकिस्तानी सेना को पाक अधिकृत कश्मीर छोड देना चाहिए ।

नरसंहार रोकने हेतु कानून बनाने का संयुक्त राष्ट्र का समझौता

अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार नरसंहार के संदर्भ में होनेवाले अपराध रोकना और दोषियों को दंडित करना प्रत्येक देश का दायित्व है । ‘जेनोसाईड कन्वेंन्शन, १९४८’ के अनुसार युद्ध के समय भी इस प्रकार का नरसंहार करना अपराध है । उसके लिए यदि बडे अधिकारी भी उत्तरदायी हों, तो उन्हें भी दंडित किया जा सकता है । वर्ष १९५९ में भारत ने इस ‘कन्वेंन्शन’पर हस्ताक्षर किए हैं; परंतु अभीतक उसने नरसंहारपर कोई कानून नहीं बनाया है । कुछ लोगों का यह भी कहना है कि भारत में इस प्रकार के कानून की आवश्यकता नहीं है; क्योंकि अन्य कानून भी उसके लिए पर्याप्त हैं ।

‘अर्ली डे मोशन’ क्या है ?

ब्रिटिश सांसद आधिकारिक रूप से किसी विषय पर अपना मतप्रदर्शन कर उसकी ओर संसद का ध्यान आकर्षित करने हेतु ‘अर्ली डे मोशन’ प्रस्ताव लाते हैं । उसे समर्थन मिलने पर संसद में उसपर चर्चा की जाती है; परंतु ऐसे प्रस्ताव बहुत कम होते हैं, जिसे समर्थन मिलकर उसपर चर्चा की जाती है ।