जम्मू-कश्मीर राज्य प्रशासन का अभिनंदनीय निर्णय
कश्मीर सहित संपूर्ण भारत के इस्लामी आक्रमणकारियों ने लूटे हुए, तोडे हुए और मस्जिद में रूपांतरित किए हुए मंदिरों को गतवैभव प्राप्त करवाने के लिए केंद्र सरकार को प्रयत्न करना आवश्यक !
श्रीनगर – जम्मू-कश्मीर में धारा ३७० और ३५ अ निरस्त करने और प्रशासकीय पुनर्रचना के एक वर्ष पश्चात राज्य प्रशासन ने प्राचीन धरोहर और वर्ष १९९० के हिन्दुओं के वंशसंहार में धर्मांधों द्वारा जलाए और लूटे गए प्राचीन रघुनाथ मंदिर का जीर्णाेद्धार करने का निर्णय लिया है । रघुनाथ मंदिर शहर के मध्यभाग में स्थित फतेह कडल के पास है । मंदिर के नवीनीकरण का काम राज्य पर्यटन विभाग को सौंपा गया है । मंदिर सहित झेलम नदी के घाट भी सुशोभित किए जाएंगे ।
१. जम्मू-कश्मीर राज्य के संस्थापक महाराजा गुलाबसिंह ने वर्ष १८३५ में इसका निर्माणकार्य प्रारंभ किया था । उनकी मृत्यु के उपरांत उनके पुत्र महाराजा रणबीर सिंह ने वर्ष १८६० में उसे पूर्ण किया ।
२. १९९० के दशक के प्रारंभ में मंदिर की धर्मशाला में आग लगा दी गई । तत्पश्चात इस्लामवादियों ने हिन्दुओं को मंदिर में पूजा करने हेतु मना किया था; परंतु श्रद्धालु दृढता से मंदिर में जाते रहे, तब संपूर्ण मंदिर जला दिया गया तथा उसमें मंदिर नष्ट हो गया । मंदिर से मूल्यवान मूर्तियां, ४० किलो चांदी, सोना और अन्य मूल्यवान वस्तुएं लूट ली गईं ।
३. वर्ष २००२ में मार्च और नवंबर महीने में मंदिर पर २ आतंकवादी आक्रमण हुए । जिहादी आतंकवादियों ने ग्रेनेड फेंके और अंधाधुंद गोलीबारी की । इसमें २० हिन्दू मारे गए और ४० से अधिक घायल हो गए ।
४. गत ३० वर्षाें से मंदिर बंद और उपेक्षित है । आक्रमण के लिए उत्तरदायी आतंकवादियों को पकडने और लूटी गई वस्तुएं खोजने में भी पुलिस असफल सिद्ध हुई है । अनेक वर्ष कश्मीर के अन्य हिन्दू मंदिरों के समान ही यह सुंदर धरोहर कचरा फेंकने के स्थान में परिवर्तित की गई ।