उत्तर एवं पूर्वोत्तर भारत के युवा धर्मप्रेमियों का ‘ऑनलाइन शौर्य जागरण व्याख्यान’ के माध्यम से धर्मजागृति हेतु प्रबोधन

वाराणसी (उ.प्र.) – हिन्दू राष्ट्र-स्थापना हेतु जनजागृति करना, धर्मप्रेमियों पर आगामी आपातकाल की दृष्टि से साधना और स्वरक्षा प्रशिक्षण का जीवन में महत्त्व अंकित करने के उद्देश्य से बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड, बंगाल, असम के युवा धर्मप्रेमियों के लिए हिन्दू जनजगृति समिति के तत्त्वावधान में ऑनलाइन शौर्य जागरण व्याख्यान का आयोजन किया गया । इस अवसर पर समिति के वाराणसी समन्वयक, श्री. राजन केसरी ने उपस्थित धर्मप्रेमियों का मार्गदर्शन करते समय बताया कि आगामी काल में तृतीय विश्‍वयुद्ध में भारत एवं विश्‍व की स्थिति के विषय में जानकारी देते हुए प्रत्येक मनुष्य को आध्यात्मिक जीवन शैली का महत्त्व एवं आवश्यक वस्तुओं के लिए सरकार पर निर्भरता त्यागकर स्वयंपूर्ण होने का मार्ग बताया ।

अगले सत्र में श्री. सुमित सागवेकर ने स्वरक्षा का महत्त्व बताते हुए शौर्य को परिभाषित किया व भारतवर्ष के गौरवशाली इतिहास की चर्चा करते हुए बताया कि ‘‘भारतीय पाठ्यक्रम में छत्रपति शिवाजी महाराज, महाराणा प्रताप, वीर सावरकर और वीर रानी लक्ष्मीबाई इत्यादि के गौरवशाली इतिहास को अंतर्भूत करेंगे तो ही हिन्दुआें में शौर्य जागरण हो सकता है । आज इतिहास की वास्तविक जानकारी न होने के कारण ही हिन्दू संगठित नहीं हैं और इसके कारण ही आज प्रतिदिन हिन्दू प्रताडित हो रहे हैं । यह सब रोकने हेतु हिन्दू राष्ट्र के कार्य में हम सभी को सहभागी होना है ।’’

उद्बोधन के अंत में, आत्मरक्षा हेतु नि:शुल्क स्वरक्षा प्रशिक्षणवर्ग की जानकारी दी गई । सभी ने उत्स्फूर्तता से यह आरंभ करने की सामूहिक मांग की । अंत में ऑनलाइन स्वरक्षा वर्ग आरंभ करने की घोषणा की गई ।