- चीन से राखियां और उसके लिए आवश्यक सामग्री का आयात न करने का निर्णय
- इस निर्णय से चीन को ४ सहस्र करोड रुपए घाटा होने की संभावना
व्यापारी संगठनों के द्वारा इस प्रकार आवाहन करने की अपेक्षा सीधे केंद्र सरकार को ही चीन से हो रही सभी प्रकार की आयातों पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए !
नई देहली – देश का सबसे बडा व्यापारी संगठन ‘कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स’ ने आनेवाले ३ अगस्त को रक्षाबंधन के लिए देशवासियों से चीनी बनावटवाली राखियों का उपयोग न करने का आवाहन किया है । १० जून से ‘कैट’ की ओर से ‘भारतीय सामान हमारा अभिमान’ अभियान के अंतर्गत चीनी वस्तुआें का बहिष्कार आरंभ किया गया है । इस अभियान के पश्चात आनेवाला रक्षाबंधन पहला बडा त्योहार है । ‘कैट’ द्वारा व्यक्त अनुमान के अनुसार इस वर्ष चीनी राखियों पर प्रतिबंध लगाया गया, तो इससे चीन को ४ सहस्र करोड रुपए का घाटा होगा ।
१. एक आंकडे के अनुसार ‘देश में रक्षाबंधन की पृष्ठभूमि पर राखी उद्योग में ६ सहस्र करोड रुपए का आर्थिक लेन-देन होता है । उनमें से केवल चीनी राखियों का बाजार ही ४ सहस्र करोड रुपए का है ।’
२. राखियों के लिए आवश्यक सामग्री जैसे फोम, कागद, धागा, मोती और राखी की सजावट करने के लिए आवश्यक अधिकांश सामग्री का आयात चीन से होता है; परंतु इस वर्ष भारत और चीन संघर्ष के चलते ‘कैट’ ने इस आयात को रोकने का निर्णय लिया है ।
३. देहली क्षेत्र के ‘कैट’ के सुशील कुमार जैन ने बताया कि ‘कैट’ ने अलग-अलग राज्यों में स्थित अपने सदस्यों को स्वरोजगार उत्पन्न करानेवाली संस्थाआें, महिला बचत समूह तथा आंगनबाडी में काम करनेवाली महिलाआें की सहायता से राखियां बनाने के लिए प्रधानता लेने का आवाहन किया है । इस माध्यम से महिलाआें को आर्थिक सहायता मिलेगी, साथ ही भारतीय राखियां बनाने का उद्देश्य भी पूर्णरूप से सफल होगा ।’