लोग अपनी-अपनी जाति-धर्म के अपराधियों को ‘हीरो’ बनाकर पुलिस तंत्र को दुर्बल बना रहे हैं ! – बिहार के पुलिस महानिदेशक का स्पष्ट मत

चौबेपुर (उत्तरप्रदेश) के ८ पुलिसवालों के हत्याकांड का प्रकरण

  • जातिपाति नष्ट करने की बातें करनेवाली अभी तक की सर्वदलीय सरकारों के लिए यह लज्जाजनक !
  • समाज को उचित-अनुचित न सिखाने का यह परिणाम है !
  • राजनीतिक समर्थन के कारण ही गुंडे बनते हैं और वे पुलिस और जनता के प्राणों के लिए संकट बन जाते हैं ! समाज में ऐसे गुंडे उत्पन्न हो ही नहीं, इसके लिए जनता को साधना ही सिखानी चाहिए !
बिहार के पुलिस महानिदेशक गुप्तेश्‍वर पांडे

पाटलीपुत्र (बिहार) – अपराधी किसी भी जाति, धर्म अथवा समुदाय को हो, वह अपराधी ही होता है । वह केवल एक विशिष्ट जाति, धर्म, अथवा समुदाय का है, इसलिए उसे ‘हीरो’ (नायक) न बनाएं । ऐसों को हीरो बनाकर लोग प्रशासन और पुलिस तंत्र को दुर्बल बना रहे हैं, ऐसा स्पष्ट मत बिहार के पुलिस महानिदेशक गुप्तेश्‍वर पांडे ने व्यक्त किया है ।

‘उत्तरप्रदेश के चौबेपुर में ८ पुलिसवालों के हत्याकांड का मुख्य आरोपी विकास दुबे अभी फरार है । पत्रकारों ने पांडे को प्रश्‍न किया था कि यदि वह बिहार में आ जाए, तो क्या करेंगे ? इस प्रश्‍न के उत्तर में पांडेजी ने उक्त वक्तव्य देते हुए इस संदर्भ में कहा कि उत्तरप्रदेश के एक व्यक्ति ने दुबे के लिए कहा था कि वह एक विशिष्ट जाति का सेवक है ।

पांडे ने आगे कहा,

१. विकास दुबे को विशिष्ट जाति का सेवक कहना तथा उसका समर्थन करना लज्जाजनक है । यही वृत्ति अपराध को बढावा देती है । अपनी-अपनी जाति के चोरी, बलात्कार, अपहरण, हत्या आदि अपराध करनेवाले अपराधियों को लोग ‘हीरो’ बना रहे हैं । ऐसों को यदि लोग हीरो बनाने लगे, उन्हें हार पहनाने लगे, उनकी पूजा करने लगे, तो अपराधी वृत्ति बढती ही जाएगी ।

२. बिहार राज्य की पुलिस और उत्तर प्रदेश राज्य की पुलिस अलग है क्या ? संपूर्ण देश का पुलिस विभाग एक ही है । उत्तर प्रदेश में ८ पुलिसवालों की हत्या कर वह (विकास दुबे) बिहार में भागकर आएगा, तो क्या यहां से सुरक्षित चला जाएगा ?, ऐसा कैसे होगा ?

३. लोग यदि उस विकास दुबे को ‘शेर’ कह रहे हों, तो जो ८ पुलिसवाले मारे गए क्या वे चूहे थे ? आरोपी और अपराधी अब ‘शेर’ बनने लगे हैं । विकास दुबे भागकर यदि बिहार में आएगा, तो हम दिखा देंगे कि ‘हम शेर का शिकार कैसे करते हैं ?’

४. ‘दुबे जैसे अपराधियों को यदि ‘शेर’ की उपमा दी जा रही हो, तो स्वतंत्रता युद्ध में लडनेवाले क्रांतिकारी कौन थे ?’ इस प्रश्‍न का उत्तर भी अपराधियों का समर्थन करनेवालों को देना चाहिए । समाज और राष्ट्र के लिए जीनेवाले और उसके लिए प्राणों की आहुति देनेवाले ही वास्तविक ‘शेर’ होते हैं ।

अपराध केवल पुलिस समाप्त नहीं कर सकती !

पुलिस महानिदेशक गुप्तेश्‍वर पांडे ने यह भी कहा कि ‘अपराध केवल पुलिस समाप्त नहीं कर सकती । उसके लिए अपराध के विरोध में जनता को एकत्रित लडना पडेगा ।’