बांग्लादेश में धर्मांध पुलिसकर्मियों द्वारा की गई मारपीट में हिन्दू किसान मारा गया

बांग्लादेश की पुलिस विभाग की ओर से ‘दुर्घटना में मृत्यु’ बताने का प्रयास

  • मुसलमान बहुसंख्यक बांग्लादेश में हिन्दुओं के साथ हो रहे अत्याचार रोकने हेतु एक भी धर्मनिरपेक्षतावादी, आधुनिकतावादी अथवा तथाकथित मानवाधिकार संगठन आगे नहीं आते, इसे ध्यान में रखें !
  • विश्‍वभर के इस्लामी देश तथा उनके संगठन भारत में मुसलमानों के साथ अन्याय न होते हुए भी इस संदर्भ में बोलते रहते हैं । हिन्दुओं को ऐसा लगता है कि अब भारत सरकार को बांग्लादेश के हिन्दुओं के साथ वास्तव में हो रहे अत्याचारों के विरुद्ध आवाज उठानी चाहिए !

ढाका (बांग्लादेश) – गोपालगंज के कोटालीपारा के निखिल कर्माकर नामक एक किसान के साथ पुलिसकर्मियों द्वारा मारपीट की गई, जिसके कारण से उसकी रीढ की हड्डी ३ स्थान से टूट गई । ढाका के सरकारी चिकित्सालय में चल रही चिकित्सा के समय उसकी मृत्यु हुई । यह घटना २ जून को हुई ।

१. निखिल कर्माकर अपने मित्रों के साथ रामशील बाजार में ताश खेल रहा था, तब कोटालीपोरा के पुलिसकर्मी घटनास्थलपर पहुंचे । पुलिसकर्मियों के वहां आते ही उसके मित्र वहां से भाग गए; परंतु सहायक उपनिरीक्षक शमीमुद्दीन ने कर्माकर को पकड लिया । तत्पश्‍चात शमीम ने निखिल के साथ मारपीट की, जिससे उसकी रीढ की हड्डी ३ स्थान से टूट गई ।

२. इस संदर्भ में पुलिस उपनिरीक्षक शमीमुद्दीन ने कहा कि मैं इसपर कोई प्रतिक्रिया नहीं दूंगा । मेरे संदर्भ में आपके कुछ प्रश्‍न हो, तो आप प्रभारी अधिकारी से पूछ सकते हैं ।

३. कोटलीपारा पुलिस थाने के प्रभारी अधिकारी ने कहा कि मेरी जानकारी के अनुसार निखिल पेड से नीचे गिरने से गंभीर रूप से घायल हुआ और चिकित्सा के समय उसकी मृत्यु हुई ।

४. गोपालगंज के पुलिस अधिक्षक मोहम्मद सैदूर रहमान खान ने कहा कि मेरी जानकारी के अनुसार निखिल की मृत्यु दुर्घटना के कारण हुई है । हमारे पास पुलिसकर्मियों द्वारा किए गए अत्याचार की कोई शिकायत नहीं आई है; परंतु शिकायत आनेपर हम निश्चितरूप से इसकी जांच करेंगे । (बांग्लादेश की पुलिस किस प्रकार षड्यंत्र रचकर अपनेआप को बचा रही है, यही इससे स्पष्ट होता है । बांग्लादेश में वहां की सरकार, पुलिस प्रशासन और प्रशासन ने हिन्दुओं को अपने हालपर छोड दिया है । अतः उनका दायित्व अब भारत सरकार को ही लेना आवश्यक है ! – संपादक)

५. निखिल के पडोसी ने कहा कि ‘निखिल एक सज्जन व्यक्ति था । पुलिसकर्मी ही इस प्रकार के अपराधों में संलिप्त हों, तो हम न्याय मांगने किसके पास जाएंगे ?’