जम्मू की सहस्रों एकड भूमि का भूमि-जिहाद उजागर करने का परिणाम
- जिहाद के प्रकार बताने के कारण अपराध प्रविष्ट करने के लिए क्या यह पाकिस्तान है ? क्या यह पत्रकारों की स्वतंत्रता पर हमला नहीं है ? अब तथाकथित अभिव्यक्ति स्वतंत्रतावाले और धर्मनिरपेक्षतावादी पत्रकार क्यों नहीं बोलते ? क्या उन्हें भी यह लगता है कि जिहाद का सूत्र प्रस्तुत करना अपराध ही है ?
- जम्मू के इस समाचार के कारण केरल में अपराध प्रविष्ट होता है, इसका क्या अर्थ समझें ? केरल की हिन्दूद्वेषी साम्यवादी सरकार तुरंत इस अपराध पर कार्यवाही कर एक राष्ट्रनिष्ठ और धर्मनिष्ठ पत्रकार को तुरंत कारागृह में बंद कर सकती है; इसलिए यह अपराध प्रविष्ट किया गया है, यह न समझने हेतु हिन्दू इतने नासमझ नहीं हैं !
नई देहली – जी न्यूज हिन्दी समाचार वाहिनी के संपादक सुधीर चौधरी के विरोध में केरलमें गैर जमानती अपराध प्रविष्ट किया गया है । इस संबंध में स्वयं सुधीर चौधरी ने ही यह जानकारी दी है । यह अपराध प्रविष्ट करते हुए कहा गया है कि ११ मार्च २०२० को जी न्यूज पर प्रसारित डी.एन.ए. कार्यक्रम में सुधीर चौधरी ने मुसलमानों को अपमानित किया है । इस कार्यक्रम में चौधरी ने जिहाद से संबंधित सारणी दिखाई थी । उसमें जिहाद के अलग-अलग प्रकारों की जानकारी दी थी ।
जिहाद का नाम लेने पर क्या आप कारागृह में डालनेवाले हैं ? – सुधीर चौधरी
अपराध प्रविष्ट होने पर सुधीर चौधरी ने कहा है कि, भारत में जिहाद का सूत्र उपस्थित करना क्या अपराध है ? क्या भूमि-जिहाद के संबंध में बताना अपराध है ? जिहाद का नाम लेने पर क्या आप कारागृह में डालनेवाले हैं ?
जम्मू का भूमि-जिहाद दिखाने के कारण अपराध
जिहाद के अलग-अलग प्रकार बताने सहित जम्मू में धर्मांधों ने रोशनी अधिनियम के आधार पर किए हुए भूमि-जिहाद के संबंध में सुधीर चौधरी ने इस कार्यक्रम के माध्यम से जानकारी दी थी । जम्मू में कश्मीर के धर्मांधों ने सहस्रों एकड सरकारी भूमि पर अतिक्रमण किया था तथा उसके पश्चात तत्कालीन सरकारों ने यह भूमि उनके नाम पर करने का रोशनी अधिनियम बनाया था । इसलिए जम्मू की सहस्रों एकड भूमि धर्मांधों के नाम पर हो गई थी । हिन्दूबहुल जम्मू को मुसलमानबहुल बनाना, इसके का पीछे षड्यंत्र था । इसके विरोध में न्यायालय में अभियोग प्रविष्ट होने के पश्चात जम्मू-कश्मीर के ही उच्च न्यायालय ने रोशनी अधिनियम निरस्त करने का आदेश देकर इस कानून द्वारा हुए भूमि घोटाले का अन्वेषण करने का आदेश दिया था । (न्यायालय द्वारा दिए गए निर्णय के आधार पर यदि कोई पत्रकार समाचार देते हुए उसका विश्लेषण करने का प्रयत्न कर रहा हो तथा उससे कुछ तथ्य सामने आ रहे हों, तो उसके विरोध में अपराध प्रविष्ट करना पत्रकारिता पर हमला ही कहना चाहिए ! – संपादक)