मुंबई, ४ मई (वार्ता.) – हम राष्ट्रभक्त मुसलमानों को वंदन करते हैं; परंतु गोमाता का मांस खाना और अन्य धर्मीय महिलाओं के साथ कुकृत्य करना, यही जिनका इतिहास है, ऐसों के प्रति सहानुभूति कैसे रखें ? कुछ महानुभाव अपवाद थे, उन्हें हम वंदनीय मानते हैं । इसलिए सरसंघचालक को सहानुभूति छोडकर प्रधानमंत्री को निर्भयता से हिन्दू राष्ट्र स्थापित करने के संबंध में सुझाव देना चाहिए, ऐसा आवाहन विश्व हिन्दू परिषद के केंद्रीय मार्गदर्शक आचार्य धमेंद्रजी महाराज ने किया है । सरसंघचालक श्री. मोहन भागवत ने २६ अप्रैल को फेसबुक द्वारा किए गए मार्गदर्शन में मुसलमानों के प्रति सहानुभूती दिखाने का आवाहन किया था । इस पर आपत्ति जताते हुए आचार्य धर्मेंद्रजी महाराज ने सामाजिक माध्यमों द्वारा प्रतिक्रिया व्यक्त की है ।
इस अवसर पर आचार्य धर्मेंद्रजी महाराज आगे कहा कि, –
१. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ विश्व का सबसे बडा संगठन है । इस संगठन के सरसंघचालक मोहन भागवतजी ने कहा है कि भय और आतंक के कारण व्यक्त होनेवाले और घबराए हुए कुछ मुसलमानों के प्रति द्वेष व्यक्त न करें तथा उनके प्रति सहानुभूति रखें । उन्होंने कहा है कि मुसलमानों के बिना भारत में रहने की कल्पना भी नहीं कर सकते ।
२. इस्लाम का जन्म केवल १ सहस्र ५०० वर्ष पुराना है और हिन्दू धर्म की परंपरा अति प्राचीन है । इस्लामी आक्रमणकारी भारत में भय और आतंक लेकर आए थे । वे शांति और प्रेम की पताका लेकर नहीं आए थे । वे रक्त की नदियां बहाने के लिए आए थे, यह इतिहास उजागर है ।
३. अश्फाख उल्ला खानसाहब, डॉ. अब्दुल कलाम, शहनाई वादक बिस्मिल्ला खानसाहब ऐसी विभूतियों को हम शतशः नमन करते हैं; परंतु कट्टर धर्मांधों को हम स्वीकार नहीं करेंगे ।