मराठी की उपेक्षा करनेवाले शासकीय कार्यालयों पर मराठी भाषा विभाग द्वारा कोई कार्रवाई नहीं होती !

राज्य का एक भी शासकीय कार्यालय मराठी के उपयोग का ‘अनुपालन ब्याेरा’ प्रस्तुत नहीं करता !

श्री. प्रीतम नाचणकर

मुंबई, २७ फरवरी – ‘मराठी भाषा गौरव दिन’के निमित्त २७ फरवरी को मराठी भाषा के गौरव के लिए मराठी भाषा विभाग द्वारा विविध कार्यक्रमों का आयोजन किया गया । मराठी भाषा गौरव दिन पर मराठी का गौरव हो रहा हो, तब भी वर्षभर में राज्य का एक भी शासकीय कार्यालय मराठी के उपयोग के विषय में ‘अनुपालन ब्योरा’ (शासकीय कार्यालय में मराठी की त्रुटियों के संदर्भ में सुधार करने का ब्योरा) मराठी भाषा विभाग को प्रस्तुत नहीं करता । मराठी भाषा विभाग इस ओर पूर्णरूप से उपेक्षा कर रहा है ।

श्री. प्रीतम नाचणकर

१. मराठी का योग्य और जहां आवश्यक, वहां उपयोग न करनेवाले शासकीय कार्यालयों की त्रुटियों के विषय में मराठी भाषा संचालनालय द्वारा मराठी भाषा विभाग को ब्योरा प्रस्तुत किया जाता है ।

२. भाषा संचालनालय द्वारा दिखाई गई त्रुटियों पर शासकीय कार्यालय से सुधार करने का ‘अनुपालन ब्याेरा’ ७ दिनों में मराठी भाषा विभाग से आना आवश्यक होता है । ‘महाराष्ट्र राजभाषा अधिनियम १९६४’ कानून के अनुसार बंधनकारक होते हुए भी राज्य का एक भी शासकीय कार्यालय उसे प्रस्तुत नहीं करता है ।

३. मराठी संचालनालय द्वारा शासकीय कार्यालय से मराठी के संदर्भ में त्रुटियों का ब्योरा और शासकीय कार्यालय द्वारा सुधार करने का ‘अनुपालन ब्योरा’, इन दाेनों का दायित्व सर्वथा मराठी भाषा विभाग पर है; परंतु इन ब्योेरों पर कार्यवाही करने के विषय में भी मराठी भाषा विभाग अत्यंत ही उदासीन है । मराठी भाषा विभाग द्वारा शासकीय कार्यालय के मराठी के संदर्भ में सुधार करने के लिए उन्हें बाध्य कर अपना दायित्व पूर्ण करने पर, खरे अर्थ में वह मराठी भाषा का गौरव होगा ।

मराठी संचालनालय शासकीय कार्यालयों में क्या जांच करती है ?

मराठी भाषा विभाग की ही एक संस्था मराठी भाषा संचालनालय के अधिकारी राज्य के विविध शासकीय कार्यालयों में जाकर राज्य के शासकीय कार्यालयों में नाम के बोर्ड अथवा पाटियां (नेमप्लेट्स) मराठी में हैं न ? निविदा (टेंडर) मराठी में ही दी जाती हैं क्या ? धारिकाओं पर (फाईल्स पर) टिप्पणी मराठी में ही दी जाती है क्या ? परिपत्रक (circular) में मराठी का उपयोग हो रहा है न ? कार्यालयों में संभाषण, भ्रमणभाष पर संदेश मराठी में हैं न ? आदि प्रत्येक बात की बारीकी से जांच करती है और उसका संपूर्ण ब्योरा मराठी भाषा विभाग को भेजा जाता है ।

४. राज्य के सभी विद्यालयों में मराठी विषय अनिवार्य करना, दुकानों के बोर्ड मराठी में बनाना आदि अनेक अच्छे उपक्रम मराठी भाषा विभाग कर रहा है; वास्तव में शासकीय कार्यालय में मराठी भाषा का उपयोग हो, इस दृष्टि से मराठी भाषा संचालनालय द्वारा जो ब्योरा मराठी भाषा विभाग को भेजा जा रहा है, उस विषय में कोई कार्यवाई नहीं होती ।

मराठी भाषा अधिकारी पद की औपचारिकता !

राज्य के सर्व जिलाधिकारी कार्यालय, महानगरपालिका, नगरपालिका, जिला परिषद के साथ महत्त्वपूर्ण निमशासकीय (semi government) कार्यालयों में ‘मराठी भाषा अधिकारी’ पद कार्यरत है; परंतु यह पद केवल नाम के लिए है । अनेक शासकीय कार्यालयों में मराठी भाषा का शुद्ध एवं आवश्यक उपयोग होने के लिए बैठक नहीं होती । अनेक स्थानों पर केवल बैठक कर औपचारिकता निभाई जाती है । बहुतांश शासकीय कार्यालयों में ‘मराठी भाषा अधिकारी’ पद है, इसकी जानकारी भी अनेक अधिकारियों को नहीं है, ऐसी राज्य के शासकीय कार्यालयों की अवस्था है । इस विषय में मराठी भाषा विभाग उदासीन है और सरकार अनदेखी कर रही है ।

५. ‘महाराष्ट्र राजभाषा अधिनियम १९६४’ के अनुसार महाराष्ट्र सरकार ने मराठी भाषा नीतियां घोषित भी की हैं; परंतु अनुपालन ब्योरा प्रस्तुत न करनेवाले कार्यालयों द्वारा उपेक्षा करना, उन पर किसी भी दंड का प्रावधान न होना, इस ओर मराठी भाषा विभाग और सरकार को गंभीरता से ध्यान देने की आवश्यकता है ।

संपादकीय भूमिका

  • अभिजात मराठी के राज्यशासन के कार्यालय की यह दयनीय स्थिति मराठी लोगों के लिए लज्जाजनक ही कहनी होगी !
  • छत्रपति शिवाजी महाराजजी द्वारा मराठी भाषा की शुद्धि के लिए स्वतंत्र ग्रंथ लिखने का आदेश दिया गया था, यह ध्यान में रखते हुए उनके आदर्शों पर चलनेवाली महाराष्ट्र सरकार की मराठी भाषा के प्रति निष्क्रियता अशोभनीय है !