TN Rejects NEP : (और इनकी सुनिए…) ‘केंद्र सरकार हमें १० सहस्र करोड रुपए देगी, तब भी हम नई शिक्षा नीति लागू नहीं करेंगे !’ – मुख्‍यमंत्री एम. के. स्‍टैलिन

  • तमिलनाडू के स्‍टैलिन का द्वेष

  • केंद्र सरकार द्वारा हिन्‍दी भाषा थोपी जाने के प्रयास का भी लगाया आरोप !

चेन्‍नई (तमिलनाडू) – केंद्र सरकार एवं तमिलनाडू सरकार में नई शिक्षा नीति में समाहित ‘त्रिभाषा सूत्र’ के विषय पर संघर्ष चल रहा है । २३ फरवरी को सत्ताधारी द्रमुक (द्रविड मुन्‍नेत्र कळघम् के अर्थात द्रविड प्रगति संघ के) कार्यकर्ताओं ने कोयंबुत्तूर के पोल्लाची रेल स्‍थानक के फलक पर लिखित हिन्‍दी नाम पर काला रंग पोत दिया । उससे पूर्व २२ फरवरी को मुख्‍यमंत्री एम. के. स्‍टैलिन ने केंद्र सरकार की आलोचना की थी । उन्‍होंने कहा था कि केंद्र सरकार नई शिक्षा नीति को अपनाने के लिए मुझे २ सहस्र करोड अथवा १० सहस्र करोड रुपए भी देती है, तब भी मैं उस पर हस्‍ताक्षर नहीं करूंगा । केंद्र सरकार हम पर हिन्‍दी भाषा थोपने का प्रयास कर रही है, यह आरोप भी उन्‍होंने लगाया ।

स्‍टैलिन ने आगे कहा कि,

१. हमने राष्ट्रीय शिक्षा नीति स्‍वीकार नहीं की है; इसलिए केंद्र सरकार तमिलनाडू को २ सहस्र करोड रुपए देना अस्‍वीकार कर रही है । हमारे राज्‍य ने यदि इन २ सहस्र करोड रुपए के लिए अपना अधिकार छोड दिया, तो उससे तमिल समाज २ सहस्र वर्ष पीछे चला जाएगा ।

२. द्रविड आंदोलन विगत ८५ वर्षों से तमिल भाषा की रक्षा के लिए लड रहा है । (भाषा की स्‍वतंत्रता के नाम पर द्रविड आंदोलन ने तमिलनाडू में केवल हिन्‍दू धर्मद्वेष ही फैलाया है, यह सर्वविदित है । भाषा की रक्षा तथा भाषाभिमान के नाम पर हिन्‍दूद्वेष फैलानेवाले स्‍टैलिन का हिन्‍दूद्वेष जान लिजिए ! – संपादक)

३. विगत ७५ वर्षों में भारत से ५२ भाषाएं गायब हो गई हैं तथा अकेले हिन्‍दी पट्टे में २५ भाषाएं नामशेष रह गई हैं ।

४. गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने में तमिलनाडू भारत में दूसरे स्‍थान पर है । विद्यालयीन शिक्षा विभाग द्वारा चलाई जानेवाली विभिन्‍न योजनाएं इस सफलता का कारण हैं ।

५. हम हिन्‍दीसहित किसी की भाषा से शत्रुता नहीं रखते । यदि किसी को हिन्‍दी सिखनी है, तो वह हिन्‍दी प्रचार सभा, केंद्रीय विद्यालय अथवा अन्‍य शिक्षा संस्‍थानों में हिन्‍दी सीख सकता है ।

नई शिक्षा नीति के अंतर्गत ‘त्रिभाषा का सूत्र’ क्‍या है ?

राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अंतर्गत छात्रों को ३ भाषाएं सिखनी होंगी; परंतु इनमें से कोई भी भाषा अनिवार्य नहीं बनाई गई है । इसके अंतर्गत जिस राज्‍य में हिन्‍दी प्रचालित नहीं है, उन राज्‍यों में हिन्‍दी को द्वितीय भाषा के रूप में सिखाया जा सकता है । इसी सूत्र पर तमिलनाडू सरकार केंद्र सरकार का विरोध कर रही हैै । हिन्‍दी भाषी राज्‍यों में द्वितीय भाषा के रूप में अन्‍य कोई भी भारतीय भाषा हो सकती है । (इस आधार पर तमिलनाडू में हिन्‍दी सीखना अनिवार्य नहीं है, तब भी तमिलनाडू सरकार से इस शिक्षा नीति का विरोध किया जाना केवल राजनीति ही है, ऐसा ही कहना पडेगा ! – संपादक)

संपादकीय भूमिका 

केंद्र सरकार ने जो नई शिक्षा नीति बनाई है, उससे हिन्‍दू संस्‍कृति तथा धर्म को महत्त्व प्राप्‍त होनेवाला है । हिन्‍दी भाषा अनिवार्य करनेे का कारण बतानेवाले स्‍टैलिन को वास्‍तव में बच्‍चों में धर्मप्रेम जागृत होने ही नहीं देना है; यह जान लें !