दुर्गाडी किले की भांति मलंगगढ के दरगाह मुक्त होने का निर्णय मिलने की आशा !
ठाणे, १२ फरवरी (संवाददाता) : शिवसेनाप्रमुख बालासाहेब ठाकरे तथा आनंद दिघे ने मलंगमुक्ति का नारा दिया था । उसके उपरांत प्रतिवर्ष शिवसेना की ओर से श्रीक्षेत्र मलंगगढ पर आरती की जाती है । इस वर्ष भी उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के हस्तों आरती की गई । इस अवसर पर शिवसैनिक तथा हिन्दुत्वनिष्ठ बडी संख्या में उपस्थित थे । उपमुख्यमंत्री शिंदे ने कहा, ‘‘जिन्होंने हिन्दुत्व का विचार छोड दिया, जनता ने उन्हें स्थान नहीं दिया । जिस प्रकार न्यायालय से दुर्गाडी किले का निर्णय हमारे पक्ष में हुआ, उसी प्रकार से मलंगगढ का निर्णय भी हमारे पक्ष में होगा, यह आशा है ।’’
उपमुख्यमंत्री शिंदे ने कहा, ‘‘स्व. आनंद दिघे द्वारा चलाए गए आंदोलन, उपक्रम तथा कार्यक्रम आज भी वैसे ही जारी हैं; क्योंकि हम हिन्दूहृदयसम्राट बालासाहब ठाकरे तथा धर्मवीर आनंद दिघे साहब के विचारों से प्रेरित शिवसैनिक हैं । मैं कहीं भी रहूं; परंतु प्रतिवर्ष बिना चूके श्रीमलंगगढ के मेले में आता हूं । धर्मवीर दिघेजी भी मलंगगढ आते थे, उसकी स्मृतियां आज भी मेरे मन में हैं ।’’
श्री नवनाथों का स्थान श्रीक्षेत्र मलंगगढ तथा धर्मांधों का किला जिहाद !ठाणे जिले में स्थित श्री मलंगगढ पर नाथ संप्रदाय के संस्थापक श्री मत्स्येंद्रनाथ एवं नवनाथों में से एक गोरक्षनाथजी के मंदिर हैं । इसके साथ ही जालिंदरनाथ एवं कानिफनाथसहित नवनाथों में से अन्य ५ नाथों की समाधियां हैं । गढ पर शिवजी, गणेशजी एवं श्री दुर्गादेवी के मंदिर भी हैं । श्रीक्षेत्र मलंगगढ को प्राचीन काल से श्री नाथसंप्रदाय के साधुओं का साधनाकेंद्र माना जाता है; परंतु पिछले कुछ वर्षाें से इस गढ के इस्लामीकरण का योजनाबद्ध प्रयास चल रहा है । गढ पर स्थित श्री मलंगबाबा की समाधि पर ही मुसलमानों ने ‘हाजी अब्दुर्रहमान मलंग शाहबाबा’ के नाम से दरगाह का निर्माण किया है, साथ ही श्रीक्षेत्र मलंगगढ के स्थान पर इस क्षेत्र का उल्लेख ‘हाजी मलंग’ प्रचलित किया गया है । इस गढ की तलहटी से समाधि तक मुसलमानों ने १०० से अधिक दुकानें बनाई हैं । गढ पर मुसलमानों की बस्ती बडे स्तर पर बढाई जा रही है । इस गढ पर और ४ दरगाह बनाए गए हैं । मुसलमानों की दुकानों ने श्री मलंगबाबा की समाधि को घेर लिया है । कोई हिन्दू जब श्री मलंगबाबा के दर्शन करने जाता है, तब उस पर दबाव बनाया जाता है । यहां श्री मलंगबाबा की समाधि होने का एक भी फलक नहीं लगाया गया है । इसके विपरीत इस दरगाह को ‘हाजी मलंग’ नाम दिया गया है । |