Anti-Hindu Book At Mahakumbh : महाकुंभ क्षेत्र में हिन्दू विरोधी पुस्तक ‘मानव धर्मशास्त्र’ के माध्यम से हिन्दुओं में बुद्धि भ्रम प्रसारित किया जा रहा है !

महाकुंभ क्षेत्र में पुस्तक की निःशुल्क बिक्री !

प्रयागराज, १२ फरवरी (वार्ता) – महाकुंभ क्षेत्र त्रिवेणी मार्ग पर ‘मानव धर्मशास्त्र’ नामक हिन्दू द्वेष प्रसारित करने वाली एक पुस्तक का निशुल्क वितरण किया जा रहा है । यह पुस्तक मंदिरों, मस्जिदों, मौलवियों (इस्लामी धार्मिक नेताओं) और पुजारियों की तुलना करके और हिन्दू पुजारियों के संबंध में त्रुटिपूर्ण  जानकारी देकर हिन्दुओं को भ्रमित कर रही है । इस पुस्तक को प्रेरणा देनेवाले अवधूत देवीदास का नाम और छाया चित्र पुस्तक में दिया गया है । इसके लेखक लक्ष्मी नारायण हैं, जो बंगाल के आई.पी.एस. अधिकारी हैं, जिसका उल्लेख पुस्तक में किया गया है । यद्यपि इस पुस्तक का मूल मूल्य ५०० रुपये है, परन्तु वास्तव में यह पुस्तक महाकुंभ क्षेत्र में निःशुल्क वितरित की जा रही है ।

‘मानव धर्मशास्त्र’ पुस्तक में दी गई मन को झकझोर देने वाली जानकारी…

१. मंदिर, मस्जिद, दरगाह आदि का स्वामी कोई भी हो, उसमें समाज के सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व होना चाहिए । धार्मिक संस्थाएं पूरे समुदाय की होनी चाहिए और सभी को मिलकर काम करना चाहिए ।

२. केवल संप्रदायों के धार्मिक नेता ही स्वयं को धार्मिक नेता मानते हैं । वे नेपथ्य में छिपकर अपनी स्वार्थी इच्छाओं को पूरा करते हैं । भोले-भाले लोग उनकी बातों से धोखा खा जाते हैं । ऐसी स्थिति में परमार्थ कैसे हो सकता है ?

३. पुजारी दिन-रात मिथ्या जानकारी देते रहते हैं और झूठ बोलकर अपनी आजीविका का अर्जन करते हैं । वे धर्म को भूल जाते हैं और लोगों को भ्रष्ट करने का कार्य करते हैं ।

४. पुजारी लोगों के बीच मतभेद निर्माण करते हैं । इससे सांसारिक जीवन में कटुता बढती है । पुजारियों के पास जीविकोपार्जन का कोई अन्य साधन नहीं है । इसलिए, वे भेदभाव करने के लिए विवश हैं ।

संपादकीय भूमिका 

  • हिन्दुओं के सबसे बडे पर्व के समय  हिन्दुओं की मानसिकता को बांटने वाली पुस्तकें कैसे बेची जाती हैं ? क्या इस्लाम अथवा ईसाई धर्म के विरुद्ध पुस्तकें कभी मक्का अथवा वेटिकन चर्च क्षेत्र में बेची जा सकती हैं ?
  • ऐसी पुस्तकों की अनुमति देने और उन्हें बेचने वालों के विरुद्ध  कठोरतम दंडात्मक कार्रवाई की जानी चाहिए !