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नई देहली – जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के (जेएनयू के) रिपोर्ट में जानकारी दी गई है कि बांग्लादेश एवं म्यानमार से आए घुसपैठियों के कारण दिल्ली में मुसलमानों की जनसंख्या बढ गई है । इस कारण अर्थव्यवस्था चरमरा रही है । सुविधाओं पर भी दबाव बढ रहा है । स्वास्थ्य एवं शिक्षा प्रबंध पर भी परिणाम हुआ है । कल तक हरियाणा, पूर्वांचल (उत्तर प्रदेश), ओडिशा एवं केरल राज्यों के श्रमिकों का स्थान अब रोहिंग्या मुसलमानों ने लिया है । उन्होंने अवैध पद्धति से श्रमिकों द्वारा काम हडप लिया है । इस रिपोर्ट का शीर्षक है ‘दिल्ली में अवैध अप्रवासी : सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक परिणामों का विश्लेषण है ।’
१. विवरण में कहा गया है कि ये बांग्लादेशी एवं रोहिंग्या दिल्ली के जामियानगर, जाकीरनगर (ओखला), लाजपतनगर, सीलमपुर, सुलतानपुरी, मुस्तफाबाद, निजामुद्दीन, सराय रोहिल्ला, शाहदरा, भालस्वा डेयरी, बवाना, द्वारका, रोहिणी, मोतीनगर, कैलाशनगर, खिचडीपुर, सराय काले खान, जाफराबाद, खान मार्केट एवं गोविंदपुरी में रहते हैं ।
२. विवरण में कहा गया है कि बांग्लादेश से अवैध अप्रवास का इतिहास वर्ष २०१७ के रोहिंग्या संकट से जुडा हुआ है । जब लाखो निर्वासित भारत में आ गए । उनमें से अनेक देहली में स्थायी हो गए । इस अवैध प्रवासी लोगों को यहां घर एवं रोजगार मिलने हेतु दलाल एवं धार्मिक नेता लोग सहायता करते हैं । उनका जाल घुसपैठियों को कागजपत्र बनाकर देता है । इस कारण देश की कानूनी व्यवस्था एवं चुनाव प्रक्रिया चरमरा रही है ।
३. इन लोगों की बढ रही जनसंख्या के कारण अपराध भी बढ गए हैं । देहली पुलिस ११ दिसंबर २०२४ से बांग्लादेशीयों की पहचान हेतु अभियान चला रही हैं ।
४. विवरण के अनुसार अवैध प्रवासी द्वारा निर्मित अनधिकृत बस्तियों के कारण झुग्गी-झोपड़ी एवं अनियोजित कालोनियां बढ गई हैं । जिस कारण दिल्ली की पहले से ही तनावग्रस्त मूलभूत सुविधाओं पर बडी मात्रा में दबाव निर्माण हुआ है । इसमें गृहनिर्माण, स्वच्छता एवं पानी की आपूर्ति सम्मिलित हैं ।
५. इन प्रवासियों के कारण दिल्ली के स्वास्थ्य प्रबंधन को भी अनेक चुनौतियां झेलनी पड रही हैं । जिस क्षेत्र में अवैध बांग्लादेशी निवास कर रहे हैं, उस क्षेत्र में शिक्षा व्यवस्था पर बडी मात्रा में तनाव है । पाठशालाओं में छात्रों की संख्या बढ रही हैं । इस समस्या के कारण शैक्षिक गुणवत्ता पर परिणाम हुआ है ।
संपादकीय भूमिका
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