‘ सेंटर फॉर पॉलिसी स्टडीज ‘ की रिपोर्ट से जानकारी
तिरुवनंतपुरम (केरल) – केरल में मुस्लिम जनसंख्या हिन्दू जनसंख्या की आधी है ; हालांकि, सबसे अधिक बच्चे मुसलमानों के पैदा हो रहे हैं । केरल में जन्म लेने वाले लगभग ४४ प्रतिशत बच्चे मुसलमान हैं । दूसरी ओर, मुसलमानों में मृत्यु दर उनकी जनसंख्या की तुलना में बहुत कम है । इसके कारण मुसलमानों की जनसंख्या हर वर्ष हिन्दुओं की तुलना में बढ रही है। मुसलमानों की वृद्धि दर हिन्दुओं से ५ गुना अधिक है । यह वास्तवता ‘सेंटर फॉर पॉलिसी स्टडीज’ की एक रिपोर्ट में बताई गई है ।
Mu$l|m Population Growth in Kerala Surpasses Hindus by 5 Times – Center for Policy Studies Report
At this rate, within 30-40 years, Kerala could become Mu$l|m-majority—turning it into another Kashmir.
India must act fast and declare itself a Hindu Rashtra before it’s too late. pic.twitter.com/IavyMDCtKg
— Sanatan Prabhat (@SanatanPrabhat) February 3, 2025
१. रिपोर्ट का शीर्षक है ‘भारत में धार्मिक जनसांख्यिकी: बढ़ता धार्मिक असंतुलन’। यह रिपोर्ट २००८ से २०२१ तक केरल में हिन्दुओं, मुसलमानों, ईसाइयों और अन्य समुदायों के डेटा पर शोध करती है । इस रिपोर्ट में इन समुदायों में नए जन्म, मृत्यु और जनसंख्या पर उनके प्रभाव पर चर्चा की गई है ।
२. इसमें कहा गया है कि २०१६ के बाद से केरल में मुसलमानों के बीच सबसे अधिक बच्चे पैदा हो रहे हैं । वर्ष २०१६ में केरल में २ लाख ७ हजार हिन्दू बच्चे पैदा हुए, जबकि इसी अवधि में २ लाख ११ हजार मुस्लिम बच्चे पैदा हुए । वर्ष २०१७ में भी स्थिति ऐसी ही थी । उस समय २ लाख १० हजार ७१ हिन्दू बच्चे पैदा हुए , जबकि २ लाख १६ हजार ५२५ मुस्लिम बच्चे पैदा हुए । वर्ष २०२० तक यह जारी रहा । केवल वर्ष २०२१ ही हिन्दू बच्चों की संख्या में वृद्धि का वर्ष रहा ।
३. ऐसा तब हो रहा है जब राज्य में हिन्दू जनसंख्या लगभग ५५ प्रतिशत और मुस्लिम आबादी लगभग २७ प्रतिशत है । २००८ में केरल में पैदा हुए ४५ प्रतिशत बच्चे हिन्दू थे, जबकि ३६ प्रतिशत मुसलमान थे । ईसाई लगभग १७.५ प्रतिशत थे; लेकिन वर्ष २०२० तक कुल जन्में बच्चों में हिन्दू बच्चों की भागीदारी घटकर ४१.४ प्रतिशत हो गई, जबकि इसी अवधि के दौरान कुल जन्मों में मुस्लिम बच्चों की भागीदारी बढ़कर ४४ प्रतिशत हो गई ।
४. केरल में मुस्लिम जनसंख्या १९५० के बाद सबसे तेज़ गति से बढ़ रही है । २००१ और २०११ के बीच केरल में हिन्दू भागीदारी केवल २.२३ प्रतिशत और ईसाई आबादी केवल १.३८ प्रतिशत बढ़ी, जबकि इस अवधि के दौरान मुस्लिम आबादी १२.८ प्रतिशत बढ़ी ।
५. २००८ से २०२१ के बीच केरल में लगभग २० प्रतिशत मौतें मुसलमानों की हुईं, जो उनकी २६.५ प्रतिशत भागीदारी से कहीं कम है। इसके विपरीत, हिन्दूओं में मृत्यु दर ६० प्रतिशत होने का अनुमान है ।
६. केरल की जनसंख्या में प्रत्येक वर्ष १ लाख से अधिक मुसलमानों की वृद्धि हो रही है । वर्ष २०२१ में मुस्लिम समुदाय में १ लाख ४ हजार नए लोग शामिल हुए, जबकि हिन्दू जनसंख्या में मात्र १ हजार ९९ की वृद्धि हुई । ईसाई जनसंख्या में ६ हजार २१८ की कमी आई है । (यह भी ध्यान रखना चाहिए कि इसमें अवैध बांग्लादेशी मुस्लिम घुसपैठिए शामिल नहीं हैं ! – संपादक)
७. २०११ – २० की अवधि के दौरान जनसंख्या में मुसलमानों की भागीदारी २६ प्रतिशत से बढ़कर २९ प्रतिशत से अधिक हो गई है । वहीं, केरल की जनसंख्या में हिन्दुओं की भागीदारी घट रही है । रिपोर्ट में कहा गया है कि आने वाले समय में यह अंतर और बढ सकता है ।
संपादकीय भूमिकाइससे पता चलता है कि केरल अगले ३० – ४० वर्षों में मुस्लिम बहुल राज्य बन जाएगा । यदि ऐसा हुआ तो इसमें कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए कि केरल कश्मीर बन जाए ! ऐसी स्थिति उत्पन्न होने से पहले भारत को हिन्दू राष्ट्र घोषित करना आवश्यक है ! |