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मॉस्को (रूस) – पिछले साल प्रधानमंत्री मोदी की रूस यात्रा के समय राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आश्वासन दिया था कि ‘यूक्रेन में रूस की ओर से लड़ रहे भारतीय सैनिकों को वापस भेजा जाएगा’; लेकिन ऐसा नहीं हुआ। यूक्रेन युद्ध में एक और भारतीय की मौत हो गई है। इस सैनिक का नाम बिनिल टी.बी. (उम्र ३२ वर्ष) है। बिनिल केरल के त्रिशूर जिले का निवासी था। बिनिल के रिश्तेदार जैन टी.के. (उम्र २७ वर्ष) भी यूक्रेन युद्ध में गंभीर रूप से घायल हुए थे। बताया जा रहा है कि बिनिल की मृत्यु यूक्रेन द्वारा किए गए ड्रोन हमले में हुई। केरल के भारतीय सैनिक का यह दूसरा मामला है, जो रूस की सेना के लिए लडते हुए मारा गया। इन भारतीयों को रूस की सेना में इलेक्ट्रीशियन, रसोइया, प्लंबर जैसे सहायक कर्मचारियों की नौकरी का लालच देकर युद्ध के मैदान में भेजा जा रहा है।
Another Indian dies in the Russia-Ukraine conflict
Indians have been recruited into the military under the lure of jobs.
It has come to light that Russia has not sent back Indians recruited in its military despite assurances.
Russia’s failure to send back Indians, despite its… pic.twitter.com/hxYt95r0oZ
— Sanatan Prabhat (@SanatanPrabhat) January 14, 2025
१. बिनिल का रिश्तेदार सनिश ने कहा कि बिनिल की पत्नी मॉस्को स्थित भारतीय दूतावास से संपर्क में थी। उसे अब सूचित कर दिया गया है कि बिनिल की मृत्यु हो चुकी है।
२. भारतीय अधिकारियों ने बताया कि उन्हें इस बारे में रूस की सेना से जानकारी मिली है।
३. केरल में विदेश में रहने वाले लोगों के संगठन के अधिकारी अजित कोलासरी ने कहा कि हम कई महीनों से बिनिल को वापस लाने का प्रयास कर रहे थे। केरल के कितने लोग अब भी रूस की सेना में फंसे हुए हैं, यह हमें नहीं पता। जब वे स्वयं कठिनाई में आकर हमें बताते हैं, तब ही हमें इसकी जानकारी होती है।
४. बिनिल और उनके रिश्तेदार टीके दोनों पिछले कुछ महीनों से भारत लौटने का प्रयास कर रहे थे; लेकिन उन्हें इसकी अनुमति नहीं दी गई। बिनिल ने भारतीय दूतावास से भी मदद मांगी थी, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। अपने आखिरी संदेश में बिनिल ने कहा था कि उन्हें युद्ध के मैदान में भेजा गया है, जहां संकट अधिक है।
५. भारतीय दूतावास ने कहा कि जब तक रूस की सेना उन्हें जाने की अनुमति नहीं देती, वे कोई भी सहायता नहीं कर सकते।
संपादकीय भूमिकारूस का भारतीयों को वापस न भेजना भारत के साथ विश्वासघात है। सिर्फ अमेरिका ही नहीं, बल्कि भारत को अब रूस से भी सतर्क रहना चाहिए, यह समझ आता है ! |