मुंबई – सुप्रसिद्ध तबलावादक उस्ताद जाकिर हुसैन ने अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को के चिकित्सालय में ७३ वर्ष की आयु में अंतिम सांस ली । कुछ दिनों से वे अस्वस्थ चल रहे था, तदनंतर उन्हें चिकित्सालय में भर्ती किया गया था । ‘इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस’ के कारण (श्वसनप्रणाली की बीमारी से) उनकी मृत्यु हो गई । उस्ताद जाकिर हुसैन केवल भारत में ही नहीं, अपितु सारे विश्व में प्रसिद्ध थे । देश-विदेश में अनेक स्थानों पर उनके तबलावादन के कार्यक्रम हुए थे । विश्वभर में उनके चाहनेवालों की संख्य बडी थी । उनके निधन से भारतीय संगीतक्षेत्र में सूनापन निर्मित हुआ है । उनके निधन के पश्चात विश्वभर के अनेक कलाकार एवं उनके चाहनेवालों ने उनको श्रद्धांजलि अर्पित की है ।
Deeply saddened by the passing of the legendary tabla maestro, Ustad Zakir Hussain Ji. He will be remembered as a true genius who revolutionized the world of Indian classical music. He also brought the tabla to the global stage, captivating millions with his unparalleled rhythm.…
— Narendra Modi (@narendramodi) December 16, 2024
जाकिर हुसैन को भारत सरकार ने वर्ष १९८८ में पद्मश्री, वर्ष २००२ में पद्मभूषण एवं वर्ष २०२३ में पद्मविभूषण पुरस्कारों से सम्मानित किया था । उन्हें ५ बार ग्रैमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था । वैश्विक संगितक्षेत्र में ग्रैमी पुरस्कार को एक प्रतिष्ठित पुरस्कार के रूप में देखा जाता है । अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्राध्यक्ष बराक ओबामा ने उस्ताद जाकीर हुसेन को व्हाईट हाऊस के कार्यक्रम में तबलावादन हेतु निमंत्रित किया था । व्हाईट हाऊस में इस प्रकार कार्यक्रम करनेवाले वे प्रथम भारतीय थे ।