नोएडा (उत्तरप्रदेश) की घटना
नोएडा (उत्तरप्रदेश) – यहां के सेक्टर-५१ के ‘सिटिजन को आपरेटिव बैंक’ के एक लॉकर में एक खातेदार ने ५ लाख रुपए की नोटें रखी थीं । ३ माह के पश्चात संबंधित ग्राहक ने लॉकर खोला तो उसमें उस ग्राहक को २ लाख रुपयों की नोटों को दीमक लगी दिखाई दी । इसके साथ शेष ३ लाख रुपए की नोटों को भी दीमक लगने से वे उपयोग में लाने की स्थिति में नहीं हैं ऐसा दिखाई दिया । इसलिए खातेदार ने बैंक से २ लाख रुपए वापस मांंगे तथा ३ लाख की नोटेंं बदलकर मांगी; परंतु बैंक व्यवस्थापन ने पैसे देने से मना किया । बैंक ने कहा कि ‘नियमानुसार लॉकर में पैसे नहीं रखे जाते । पैसे रखने के लिए बैंक खाता है । इस पर खातेदार ने बैंक के वरिष्ठ अधिकारी से तकरार की है ।
१. एक लॉकर को दीमक लगने की बात सामने आने पर बैंक व्यवस्थापक आलोक कुमार ने सभी लॉकरधारकों से संपर्क कर उन्हें लॉकर जांचने की प्रार्थना की ।
२. खातेदारों ने बैंक व्यवस्थापन के विषय में प्रश्न उपस्थित करते हुए कहा कि बैंक हमसे प्रति वर्ष १२ सहस्र रुपए ‘लॉकर फी’ लेती है । ऐसी परिस्थिति में लॉकर में रखी वस्तु सुरक्षित रखने का दायित्व बैंक के व्यवस्थापन का है । वर्ष में न्यूनतम दो बार कीटमार औषधि छिडकनी चाहिए ।
३. बैंक के व्यवस्थापक ने बैंक की दीाावार गीली होने की बात स्वीकार की ।
लॉकर में नोटे रखना, रिजर्व बैैंक के मार्गदर्शक तत्वों का उल्लंघन !
बैैंक के वरिष्ठ व्यवस्थापक इंदू जयस्वाल ने कहा कि लॉकर ग्राहकों की सुविधा के लिए है । इसमें केवल महत्त्वपूर्ण दस्तावेज, संपत्ति के दस्तावेज, कीमती अलंकार तथा अन्य वस्तुएं रख सकते हैं; परंतु पैसे नहीं रख सकते । लॉकर मे नोटें रखना, रिजर्व बैैंक के मार्गदर्शक तत्त्वों का उल्लंघन है । यदि किसी व्यक्ति ने लॉकर में पैसे रखे, तो उसे यह सिद्ध करना पडेगा कि उसकी राशि वैध है ।