Contempt Of Marathi : महाराष्ट्र सरकार के ‘महावाचन उत्सव  २०२४ ‘ पत्रक में मराठी की उपेक्षा !

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मुंबई – महाराष्ट्र सरकार के स्कूल शिक्षा और खेल विभाग द्वारा ‘महावाचन उत्सव २०२४ ‘ इस उपक्रम की 3-लाइन के प्रशस्तीपत्रक में शुद्ध लेखन वाक्यरचना, व्याकरण और भाषा में कुल 25 त्रुटियां हैं। यह बात सामने आई है कि प्रेस विज्ञप्ति में इतनी भयानक त्रुटियां देखकर मराठी की उपेक्षा की गई ।  यदि कोई आम मराठी व्यक्ति भी इस पुस्तिका को पढ़ेगा तो उसे इसमें मराठी भाषा की दुर्दशा देखकर दुःख  होगा ।

इस शीट के नीचे मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और स्कूल शिक्षा मंत्री दीपक केसरकर के हस्ताक्षर हैं।  उद्धरण में पाठ के ऊपर एक मिटाया हुआ कैप्शन भी है।  उद्धरण के साथ इस तरह छेड़छाड़ करना अच्छा नहीं लगता।

शीट में त्रुटियों को और सुधार की आवश्यकता है !

१.  ‘ महावाचन उत्सव २०२४ ‘ शब्द एकल उद्धरण चिह्नों में अपेक्षित हैं।

२.  समूह के इस शब्द के पहले ‘महावाचन’ शब्द लगना चाहिए।

३.  ‘गतातुन’ शब्द को ‘गटातुन’ होना चाहिए।

४.  अंक 9 और 12 अंग्रेजी में हैं, वे मराठी में चाहिए ।

५.   ‘घेटलबदल’ शब्द का अर्थ ‘लेने के बारे में’ था।  (विदेशी होने के बारे में’ शब्द का अर्थ ‘प्रित्यर्थ’ भी हो सकता है।)

६.  ‘अपनास’ की जगह ‘आपनास’ चाहिए।

७.  ‘सुरक्षा पत्र’ की जगह ‘उद्धरण पत्र’ होना चाहिए।

Q८.  ‘.’ के स्थान पर हमें ‘.’ (पूर्ण विराम) की आवश्यकता है जिसका प्रयोग मराठी में किया जाता है।

९.   वाक्य में लिखा है, ‘आपके वचन का आवेदन और सक्रिय भागीदारी सफल रही है।’  इनमें से 2 शब्दों को छोड़कर पूरा वाक्य गायब है।  इसके स्थान पर यह कहना चाहिए ‘आपके सहभाग से  इस पहल को सफल बनाया है।’

१०.  ‘नून टेवेल’ की जगह ‘नेऊन ठेवेल’ होना चाहिए ।

११. ‘सादी नहीं’ की जगह ‘संदेह नही ‘ होना चाहिए।

१२.  ‘उत्सव’ की जगह ‘उत्सवात ‘ होना चाहिए ।

१३.  ‘आपका’ की जगह आपले’ चाहिए ।

१४.  ‘बधाई हो’ शब्द और विस्मयादिबोधक चिह्न के बीच एक स्थान आवश्यक है ।

१५.  ‘आपलिया पुढील वाचन यात्रासाथी’ के बजाय,  ‘ आपल्या पुढील वाचन प्रवासा साठी’ होना चाहिए।

१६.  ‘शुभच्छा’ शब्द तथा विराम चिह्नों के बीच स्थान आवश्यक है।

संपादकीय भूमिका

  • यदि सरकारी विभाग द्वारा मराठी की इस सीमा तक अवहेलना की जा रही है तो उस राज्य में मराठी का भविष्य क्या होगा, इसके बारे में न ही सोचा जाए तो अच्छा है !
  • मराठी को शास्त्रीय भाषा का स्थान दिलाने के प्रयास से अधिक शुद्ध मराठी लिखने तथा बोलने का प्रयास किया जाना चाहिए, इसके लिये प्रयत्न बढ़ाने चाहिए !
  • ‘भाषा मृत होती है तो देश भी मृत होता है , संस्कृति की ज्योति भी बुझती है ! ‘ ऐसी स्थिति को रोकने के लिए प्रत्येक मराठी नागरिक एवं मराठी के लिए लड़ने वाले दलों को ठोस कार्यवाही की पहल करनी चाहिए!