Bhojshala ASI Survey : मध्‍यप्रदेश के भोजशाला का सर्वेक्षण पूर्ण

पुरातत्‍व विभाग सर्वेक्षण की विवरण (रिपोर्ट) उच्‍च न्‍यायालय में प्रस्तुत करेगा !

धार (मध्‍य प्रदेश) – यहां स्थित भोजशाला के भारतीय पुरातत्‍व विभाग का सर्वेक्षण पूर्ण हुआ है । इस सर्वेक्षण में हिन्दुओं के देवताओं की अनेक मूर्तियों के साथ सैकडों अवशेष मिले हैं । इस सर्वेक्षण का विवरण अब न्‍यायालय में प्रस्तुत किया जाएगा । इस प्रकरण की अगली सुनवाई ४ जुलाई २०२४ को होगी ।

१. सर्वेक्षण के ९८ दिनों में पुरातत्‍व विभाग ने भोजशाला के परिसर से १ सहस्र ७१० अवशेष नियंत्रित किए हैं । ये अवशेष प्राप्त करने के लिए विभाग ने भोजशाला के २४ स्थानों पर उत्‍खनन किया । इस सर्वेक्षण में अबतक भोजशाला के परिसर से ३९ मूर्तियां मिली हैं । इन मूर्तियों को स्वच्छ कर उनकी पहचान की जा रही है ।

२. सर्वेक्षण में प्राप्त मूर्तियां वाग्‍देवी (सरस्‍वती), महिषासुर मर्दिनी, श्री गणेश, श्री हनुमान, ब्रह्मा एवं श्रीकृष्‍ण की हैं । इन में से कुछ मूर्तियां अच्छी स्‍थिति में तो कुछ जीर्णावस्‍था में हैं । ब्रह्मदेव की मूर्ति सुस्‍थिति में हैं, तो देवी की मूर्ति टूटी हुई पाई गई हैं । साथ ही अनेक स्तंभ एवं शिलालेख भी मिले हैं ।

३. सर्वेक्षण हेतु पुरातत्‍व विभाग को न्‍यायालय की ओर से ४२ दिनों का अवधि दिया गया था; परंतु उसके पश्चात वह बढाया गया ।

४. पुरातत्‍व विभाग न्‍यायालय में प्रस्तुत किए जानावाले विवरण में विशेषज्ञों के मतों सहित अवशेषों से संबंधित सभी जानकारी न्‍यायालय के समक्ष प्रस्तु करेगा । सर्वेक्षण के समय यहां ‘कार्बन डेटिंग’ भी (वस्‍तु कितनी पुरानी है, इसे नापने हेतु की जानेवाली कसौटी) की गई है तथा इस संदर्भ में अलग विवरण तैयार किया जाएगा ।

५. सर्वेक्षण की अवधि में पुरातत्‍व विभाग ने दावा किया है, ‘मुसलमान पक्ष ने न्‍यायालय के आदेशों का उल्लंघन किया ।’

६. सर्वेक्षण के जारी रहते भोजशाला पर्यटकों के लिए बंद रखी गई थी एवं अब भी वह बंद ही रखी जाएगी । केवल मंगलवार को हिन्दू पक्ष को पूजा करने की, जबकि शुक्रवार को मुस्लिमों को नमाजपठन करने की अनुमति दी गई है ।

७. ११ मार्च २०२४ को मध्‍य प्रदेश उच्‍च न्‍यायालय ने भोजशाला का पुरातत्‍व विभाग द्वारा सर्वेक्षण करने का आदेश दिया था । भोजशाला श्री सरस्‍वतीदेवी का मंदिर है कि जो वर्ष १०००-१०५५ के समय में राजा भोज ने निर्माण किया था । कुछ शताब्दी पूर्व मुगलों ने आक्रमण कर यहां मौलाना कमालउद्दीन (जिन पर अनेक हिन्दुओं को फंसाकर मुस्‍लिम बनाए जाने का आरोप लगा है) की कब्र का निर्माण किया । तदनंतर यहां मुसलमान लोग आने लगे तथा नमाजपठन करने लगे ।