वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव का सातवां दिन (३० जून)
वर्ष २०२५ में बृहस्पति, राहु और शनि इन ग्रहों का स्थानपरिवर्तन होनेवाला है । यह परिवर्तन दुर्लभ है । इससे, वर्ष २०२५ के उत्तरार्ध में धर्मनिष्ठों को बल मिलेगा । श्रीरामजन्मभूमि निर्णय के समय गुरु और शनि ग्रह की युति थी । उस समय न्याय व्यवस्था में अचानक परिवर्तन हुआ था । वैसी ही युति वर्ष २०२५ से २०२७ के मध्य बनने जा रही है । इससे, आगामी ३ वर्षों में हिन्दुओं के हित में बड़े निर्णय होंगे । वर्ष २०२७ तक का काल हिन्दुत्व के लिए अनुकूल है ।ज्योतिषशास्त्र के अनुसार आगामी ३ वर्षों में संवैधानिक हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के स्पष्ट संकेत दिखाई दे रहे हैं । आगामी २ वर्ष परिवर्तनकाल रहेगा । संगठित होकर कार्य करने की आवश्यकता है । आगामी काल में हिन्दू राष्ट्र की आधारशिलाएं निर्माण करनी चाहिए । दैवी शक्तियां हिन्दुओं की सहायता कर रही हैं । ऐसे समय, हिन्दुओं को तेज गति से हिन्दुत्व का कार्य करने की आवश्यकता है ।अनुकूल काल में कार्य में शिथिलता आई, तो बड़ा कार्य हाथ से छूट सकता है । इसलिए, हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के लिए हिन्दुओं को संगठित होकर प्रयास करना पड़ेगा । बृहस्पति, यह वैदिक धर्म का तारक ग्रह है । आगामी काल में बृहस्पति ग्रह मीन राशि में प्रवेश करने वाला है । इससे चीन और रूस इन साम्यवादी देशों में व्यवस्था परिवर्तन होने की संभावना है । इन देशों में धर्मसिद्धांतों पर चलनेवाली सरकार आ सकती है ।
हिन्दुत्व की रक्षा अर्थात मानवरक्षा !
हिन्दू राष्ट्र का निर्माण केवल हिन्दुओं के लिए नहीं, अपितु संपूर्ण मानव जाति की रक्षा के लिए है । प्रकृति ने पशु-पक्षियों को भी स्व-रक्षा के लिए नखें दी हैं । अपनी रक्षा करना प्राकृतिक धर्म है । इसलिए, हिन्दू धर्म की रक्षा करना, प्रकृति की रक्षा करना है । ये विचार आचार्य डॉ. अशोक कुमार मिश्र ने व्यक्त किए ।