हिन्दुओं के दबाव और प्रशासन की दृढ स्थिति का परिणाम !
कोल्हापुर (महाराष्ट्र) – बकरीद के अवसर पर उच्च न्यायालय द्वारा पारित पशु बलि आदेश केवल याचिकाकर्ताओं के निजी परिसर, यानी ‘समूह संख्या १९’ और वह भी सीमित परिसर पर लागू था। इसका पालन करने के लिए ‘सकल हिन्दू समाज मलकापुर’ और ‘विशालगढ रक्षा एवं अतिक्रमण विरोधी कार्रवाई समिति’ की ओर से १६ जून को शाहूवाड़ी पुलिस स्टेशन में एक वक्तव्य दिया गया था । अत: १७ जून को हिन्दुओं के दबाव तथा प्रशासन के कड़े निर्णय के कारण विशालगढ में ‘बकरी ईद’ पर किसी जानवर की बलि नहीं दी गई। इसलिए किले की पवित्रता बनी रही।
No animal sacrifice on Vishalgad Fort on Bakri Eid
The result of Hindu activists’ pressure and the firm stance of the administration #MaharashtraNews@SG_HJS https://t.co/yt8GVmK9rs pic.twitter.com/NW0waBliqC
— Sanatan Prabhat (@SanatanPrabhat) June 18, 2024
१. चूँकि अदालत का आदेश केवल उन याचिकाकर्ताओं के संबंध में था, इसलिए प्रशासन ने १७ जून को विशालगढ़ में जानवरों को ले जाने और उनकी बलि देने पर रोक लगा दी। जिस याचिकाकर्ता के संबंध में यह आदेश दिया गया है, उस पर प्रशासन द्वारा किसी भी तरह से रोक नहीं लगाई गई है। जबकि यह मामला था, इस अवसर पर वहां उपस्थित लोगों में से कुछ ने यह तर्क देने का प्रयास किया कि ‘न्यायालय का आदेश पूरे विशालगढ़ के लिए है’; किंतु पुलिस और प्रशासन अपने हठ पर अडा रहा !
२. प्रशासन की अनुमति नहीं मिलने के कारण विशालगढ स्थित दरगाह के बाहर की दुकानें बंद कर दी गईं और गांव भी बंद कर दिया गया। प्रशासन ने बार-बार यह कहने का प्रयास किया कि ‘न्यायालय का आदेश क्या है?’; लेकिन कुछ लोग सुनने के मूड में नहीं थे ।
३. इस संबंध में ‘सकल हिन्दू समाज मलकापुर’ और ‘विशालगढ संरक्षण एवं अतिक्रमण विरोधी कार्रवाई समिति’ की ओर से प्रशासन के कठोर कदम पर संतोष व्यक्त किया तथा प्रशासन से अनुरोध किया है कि अदालत के आदेश के अनुसार वह इस बात का ध्यान रखे कि पशु बलि न हो यह २१ जून तक वहां प्रस्तुत किया जाए !