इरान में हिजाब के विरुद्ध आंदोलन में २ युवकों को फांसी !
इरान में गत कुछ माह से हिजाब के विरुद्ध आंदोलन चल रहा है । इस आंदोलन के प्रकरण में अब तक अनेक लोगों कों फांसी का दंड सुनाया गया है तथा सैकडों लोग कारावास में डाले गए हैं ।
इरान में गत कुछ माह से हिजाब के विरुद्ध आंदोलन चल रहा है । इस आंदोलन के प्रकरण में अब तक अनेक लोगों कों फांसी का दंड सुनाया गया है तथा सैकडों लोग कारावास में डाले गए हैं ।
इराण में हिजाबविरोधी आंदोलन में सहभागी होने के आरोप में २३ वर्षीय युवक मजीदरोजा रहनवर्ड को सार्वजनिकरूप से फांसी दी गई । फांसी से पूर्व का उसका एक वीडियो अब सामाजिक माध्यमों में प्रसारित हो रहा है ।
इससे समझ में आता है कि, इरान के नागरिकों का हिजाब को कितना विरोध है ! भारत के हिजाब प्रेमी इस विषय में कुछ बोलेंगे क्या ?
ईरान में हिजाब के विरोध में हो रहे राष्ट्रव्यापी विरोध आंदोलन को दबाने के लिए सरकार लगातार प्रयत्न कर रही है । हिजाब आंदोलन को दबाने की सरकार की अमानवीय कार्रवाई के विरोध में लोगों में अभी भी क्रोध व्याप्त है ।
बंगाल के हावडा के एक विद्यालय में हिजाब और ‘नामावली’ (देवताओं के नाम वाले भगवा वस्त्र) को लेकर छात्रों के दो गुटों में मारपीट हुई । छात्रों का एक समूह अपने गले में ‘नामावली’ के साथ कक्षा में जाने की अनुमति मांग रहा था ।
ईरान में अभी चल रहे हिजाब विरोधी प्रदर्शन के आरोप में एक व्यक्ति को फांसी और अन्य ५ लोगों को १० वर्ष कारावास का दंड सुनाया गया है । इन दोषियों पर सरकारी भवनों को आग लगाना, दंगे भडकाना और राष्ट्रीय सुरक्षा के विरुद्ध षडयंत्र रचने का आरोप है ।
कर्नाटक की शैक्षणिक संस्थाओं में हिजाब पर बंदी लगाई गई है । इस पर सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश अंतिम निर्णय देनेवाले हैं । दूसरी ओर यूरोपियन यूनियन के सर्वोच्च न्यायालय ने दिए एक निर्णय के आधार पर यूरोप की आस्थापनें हिजाब पर बंदी लगा सकती हैं ।
हिन्दुओं को ‘धर्म चार दीवारों के अंदर रखने’ का उपदेश देनेवाले प्रगतिशील, धर्मनिरपेक्षतावादी, कांग्रेसी आदि अब मुसलमानों को यह उपदेश क्यों नहीं दे रहे ? वे इस विषय पर चुप क्यों हैं ?
कर्नाटक में पाठशाला तथा महाविद्यालय में हिजाब पहन कर आने पर प्रतिबंध लगाने के कर्नाटक सरकार के निर्णय को कर्नाटक उच्च न्यायालय ने वैध बताया था । इसके विरुद्ध सर्वाेच्च न्यायालय में याचिका प्रविष्ट की गई है ।
भारत तथाकथित धर्मनिरपेक्ष देश होते हुए भी यहां हिजाब ‘ऐच्छिक’ नहीं, अपितु ‘अनिवार्य’ होने की बात दिखाई देती है !