हिजाब और भगवा वस्त्रों को लेकर बंगाल के एक विद्यालय में छात्रों के बीच मारपीट !

बंगाल के हावडा के एक विद्यालय में हिजाब और ‘नामावली’ (देवताओं के नाम वाले भगवा वस्त्र) को लेकर छात्रों के दो गुटों में मारपीट हुई । छात्रों का एक समूह अपने गले में ‘नामावली’ के साथ कक्षा में जाने की अनुमति मांग रहा था ।

ईरान में हिजाब विरोधी प्रदर्शन करनेवाले को दी फांसी !

ईरान में अभी चल रहे हिजाब विरोधी प्रदर्शन के आरोप में एक व्यक्ति को फांसी और अन्य ५ लोगों को १० वर्ष कारावास का दंड सुनाया गया है । इन दोषियों पर सरकारी भवनों को आग लगाना, दंगे भडकाना और राष्ट्रीय सुरक्षा के विरुद्ध षडयंत्र रचने का आरोप है ।

यूरोप की आस्थापनें हिजाब पर बंदी लगा सकती हैं !

कर्नाटक की शैक्षणिक संस्थाओं में हिजाब पर बंदी लगाई गई है । इस पर सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश अंतिम निर्णय देनेवाले हैं । दूसरी ओर यूरोपियन यूनियन के सर्वोच्च न्यायालय ने दिए एक निर्णय के आधार पर यूरोप की आस्थापनें हिजाब पर बंदी लगा सकती हैं ।

कोजीकोड (केरल) में विद्यालय के बाहर जिहादी संगठनों के निदर्शन 

हिन्दुओं को ‘धर्म चार दीवारों के अंदर रखने’ का उपदेश देनेवाले प्रगतिशील, धर्मनिरपेक्षतावादी, कांग्रेसी आदि अब मुसलमानों को यह उपदेश क्यों नहीं दे रहे ? वे इस विषय पर चुप क्यों हैं ?

सर्वाेच्च न्यायालय द्वारा दोनों पक्षों के वाद-विवाद के उपरांत निर्णय सुरक्षित रखा गया !

कर्नाटक में पाठशाला तथा महाविद्यालय में हिजाब पहन कर आने पर प्रतिबंध लगाने के कर्नाटक सरकार के निर्णय को कर्नाटक उच्च न्यायालय ने वैध बताया था । इसके विरुद्ध सर्वाेच्च न्यायालय में याचिका प्रविष्ट की गई है ।

धर्मनिरपेक्ष देश में हिजाब ‘ऐच्छिक’, जबकि कट्टरतावादी देश में ‘अनिवार्य’ ! – तस्लीमा नसरीन

भारत तथाकथित धर्मनिरपेक्ष देश होते हुए भी यहां हिजाब ‘ऐच्छिक’ नहीं, अपितु ‘अनिवार्य’ होने की बात दिखाई देती है !

इस्लाम में नमाज अनिवार्य नहीं, तो हिजाब कैसे आवश्यक ? – उच्चतम न्यायालय का प्रश्न

कर्नाटक की शिक्षण संस्थाओं में मुसलमान छात्राओं के हिजाब परिधान करने पर प्रतिबंध लगाया गया है । इसके विरोध में कर्नाटक उच्च न्यायालय में चुनौती देने के उपरांत न्यायालय ने सरकार के निर्णय को जारी रखा था , जिसे उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गई है ।

हिजाब परिधान करना स्वीकार्य हो इसके लिए कर्नाटक में मुसलमान निजी महाविद्यालय प्रारंभ करेंगे !

पिछले ७५ वर्षों में सभी दलों के शासकों ने मुसलमानों को मुख्यधारा में लाने के लिए तुष्टीकरण द्वारा कई प्रयास किए किन्तु दिखाई यही देता है कि ‘किसी की पूंछ यदि टेढ़ी होती है, तो वह टेढ़ी ही रहती है’ !

‘कश्मीर से कन्याकुमारी’, ‘कच्छ से कामरूप’ ऐसा ‘आसेतु हिमालय’ एवं सिंधु से सेतुबंध’ तक हिन्दू राष्ट्र स्थापित करना है !

अगले २-३ वर्ष हिन्दू राष्ट्र की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण हैं । इसके लिए हमें निरंतर हिन्दू राष्ट्र की मांग करते रहना होगा । इस दृष्टि से ‘अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन’ महत्त्वपूर्ण है । यह कार्य करते समय कालमहिमा के अनुसार वर्ष २०२५ में हिन्दू राष्ट्र आने ही वाला है, इसके प्रति आश्वस्त रहिए !

मंगलुरू विश्वविद्यालय में हिजाब पहनकर आने की मुसलमान छात्राओं की कानून विरोधी मांग

कर्नाटक उच्च न्यायालय ने हिजाब पहनने की अनुमति न देने पर भी इस प्रकार की मांग कर न्यायालय के आदेश का अपमान किया जा रहा है, इस पर ध्यान दें !