चेन्‍नई के पट्टाभिराम प्रभाकरन् (आयु ७६ वर्ष) सनातन के १०५ वें व्‍यष्‍टि संत पद पर विराजमान !

नम्रता, अल्‍प अहं तथा वृद्धावस्‍था में भी भावपूर्ण सेवा करनेवाले सनातन के साधक श्री. पट्टाभिरामन् प्रभाकरन् सनातन के १०५ वें व्‍यष्‍टि संत पद पर विराजमान हुए ।

सनातन के गुरु-शिष्‍य संबंधी ग्रंथ पढें !

शिष्‍य को केवल गुरुकृपा से ही मोक्ष प्राप्‍त हो सकता है ! – ग्रंथ – गुरुका महत्त्व, प्रकार एवं गुरुमन्‍त्र
ग्रंथ – गुरुका शिष्‍योंको सिखाना एवं गुरु-शिष्‍य सम्‍बन्‍ध

संत भक्‍तराज महाराज जैसे पूर्णता को प्राप्‍त उच्‍च कोटि के संतों के सत्‍संग से लाभान्‍वित पू. शिवाजी वटकरजी द्वारा वर्णन की गई गुरुतत्त्व की महिमा !

परात्‍पर गुरु डॉ. आठवलेजी हमें अभ्‍यासवर्ग में अध्‍यात्‍म का सैद्धांतिक ज्ञान देते थे और उसका प्रत्‍यक्ष क्रियान्‍वयन करने के लिए बताकर साधना करवाते थे । उसके प्रायोगिक भाग के रूप में वे हमें संतों का सत्‍संग कराते थे, साथ ही हमसे राष्‍ट्र एवं धर्म के संदर्भ में सेवा भी करवाते थे ।

तीव्र शारीरिक कष्ट से पीडित होते हुए भी अंतिम श्वास तक गुरुकार्य की तीव्र लगन रखनेवाले ६७ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर के मथुरा के स्व. विनय वर्मा !

विनय भैया जब आश्रम में थे, तब उन्होंने सभी साधकों से निकटता बना ली थी । साधकों की चर्चा में कभी भी विनय भैया का विषय हो, तो साधक उनके स्मरण से आनंदित होते थे ।भैया को तीव्र शारीरिक कष्ट होते समय तथा अत्यधिक वेदना होते हुए भी वे कभी उस संबंध में नहीं बताते थे ।

दीपावली पर्व पर देवता-तत्त्व आकृष्‍ट एवं प्रक्षेपित करनेवाली रंगोलियां बनाना !

‘सनातन हिन्‍दू संस्‍कृति में रंगोली का अपना एक अलग ही महत्त्व है । उसके मूल में शुद्ध शास्‍त्रीय दृष्‍टिकोण है । रंगोली, देवता-तत्त्व आकृष्‍ट करनेवाली सात्त्विक आकृतियों की सहायता से बनाने पर, वहां संबंधित देवता के तत्त्व भी आकृष्‍ट होते हैं ।

‘स्वयं की प्रकृति के अनुरूप काल के अनुसार देवता का ‘तारक’ अथवा ‘मारक’ नामजप करें एवं नामजप से मिलनेवाले लाभ में वृद्धि करें !

देवता की विविध उपासना-पद्धतियों में कलियुग की सबसे सरल उपासना है ‘देवता का नामजप करना’ । देवता के प्रति मन में बहुत भाव उत्‍पन्‍न होने के उपरांत देवता का नाम कैसे भी लिया गया, तो चलता है; परंतु सामान्‍य साधक में इतना भाव नहीं होता ।

दिल्ली में नवरात्रि के अवसर पर ऑनलाइन प्रवचन

देहली – सनातन संस्‍था एवं हिन्‍दू जनजागृति समिति द्वारा नवरात्रि के अवसर पर एक ऑनलाइन साधना सत्‍संग का आयोजन किया गया । सत्‍संग में श्रीमती माला कुमार ने नवरात्रि का महत्त्व, उपासना के बारे में बताया ।

शरद पूर्णिमा(कोजागरी पूर्णिमा) ३० अक्‍टूबर को मनाएं !

‘शुक्रवार, ३०.१०.२०२० को सायंकाल ५.४६ के पश्‍चात ‘शरद पूर्णिमा’ प्रारंभ हो रही है । इस वर्ष ‘अधिक अश्‍विन मास’ होने के कारण अश्‍विन पूर्णिमा को ‘शरद पूर्णिमा (कोजागरी पूर्णिमा)’ है ।

सनातन संस्‍था आयोजित : ‘ऑनलाइन साधना प्रवचन शृंखला’

‘ऑनलाइन साधना प्रवचन शृंखला’ : मानव जीवन में सुख-दु:ख का कारण एवं जीवन में साधना का महत्त्व – १. मानव जीवन में सुख-दु:ख क्‍यों आते हैं ?
२. जीवन में साधना का महत्त्व

शारदीय नवरात्रि : नवरात्रि में देवीपूजन कैसे करें ?

नवरात्रोत्‍सव मनाने का अर्थ है अखंड प्रज्‍वलित नंदादीप के माध्‍यम से नौ दिन आदिशक्‍ति की पूजा करना । नवरात्रि में वायुमंडल देवी की शक्‍तिरूपी तेजतरंगों से पूरित रहता है । दीप तेज का प्रतीक है । अत: दीप की ज्‍योति की ओर ये तेजतरंगें आकर्षित होती हैं ।