चेन्नई – नम्रता, अल्प अहं तथा वृद्धावस्था में भी भावपूर्ण सेवा करनेवाले सनातन के साधक श्री. पट्टाभिरामन् प्रभाकरन् सनातन के १०५ वें व्यष्टि संत पद पर विराजमान हुए । यह आनंदवार्ता सनातन की संत पू. (श्रीमती) उमा रविचंद्रन्जी ने १०.१२.२०२० को ‘ऑनलाइन’ सत्संग के द्वारा दी । इस समय श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी की भी वंदनीय उपस्थिति रही ।
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चेन्नई के पट्टाभिराम प्रभाकरन् (आयु ७६ वर्ष) सनातन के १०५ वें व्यष्टि संत पद पर विराजमान !
नूतन लेख
- साधको, दास्यभाव के प्रतीक रामभक्त हनुमानजी की भांति अंतर में सेवकभाव उत्पन्न कर स्वयं में विद्यमान अहं का निर्मूलन करने का प्रयास करें !
- साधको, स्वभावदोष एवं अहं निर्मूलन की प्रक्रिया लगन से कर मानव जीवन का ध्येय ‘आनंदप्राप्ति’ साध्य कर लें !
- लोकसभा चुनाव के उपरांत असम में लागू होगा समान नागरिक कानून !
- ‘सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी की कृपा से ‘सनातन के साधक आनंद में रहनेवाले जीव हैं, इसकी प्रतीति लेनेवाले समाज के विभिन्न व्यक्ति !
- सनातन का ग्रन्थ
- साधकों को संतों के सत्संग में कुछ न बोलना हो, तब भी सत्संग से होनेवाले लाभ प्राप्त करने के लिए उन्हें सत्संग में बैठना चाहिए !