दीपावली पर्व पर देवता-तत्त्व आकृष्‍ट एवं प्रक्षेपित करनेवाली रंगोलियां बनाना !

श्रीलक्ष्मीदेवी तत्त्व : १ प्रतिशत, आनंद : २ प्रतिशत २९ से १५ बिंदु

     ‘सनातन हिन्‍दू संस्‍कृति में रंगोली का अपना एक अलग ही महत्त्व है । उसके मूल में शुद्ध शास्‍त्रीय दृष्‍टिकोण है । रंगोली, देवता-तत्त्व आकृष्‍ट करनेवाली सात्त्विक आकृतियों की सहायता से बनाने पर, वहां संबंधित देवता के तत्त्व भी आकृष्‍ट होते हैं ।

आनंद : २ प्रतिशत मध्‍यबिंदु से १६ बाजू में १२-१२ बिंदु

     इसके अतिरिक्‍त, रंगोली बनानेवाले व्‍यक्‍ति में भाव अधिक होने पर उस रंगोली में सात्त्विकता और चैतन्‍य बढ जाते हैं । इसी प्रकार, उनसे आनंद और शांति की तरंगें प्रक्षेपित होती हैं, जिनसे वहां उपस्‍थित लोगों को आध्‍यात्मिक लाभ होता है ।

अधिक रंगोलियों के लिए देखें : सनातन का लघुग्रंथ ‘देवताआेंके तत्त्व आकृष्‍ट एवं प्रक्षेपित करनेवाली सात्त्विक रंगोलियां’