‘सनातन प्रभात’ की ज्ञानशक्ति का परिपूर्ण लाभ उठाएं !

‘सनातन प्रभात’ ने प्रारंभ से ही आदर्श राष्ट्ररचना के लिए अराजकीय विचार, राष्ट्र-धर्म हित के दृष्टिकोण और ज्वलंत हिन्दुत्व की भूमिका के माध्यम से वैचारिक क्रांति का संदेश दिया है । अनेकों ने ‘सनातन प्रभात’ के वैचारिक संदेश पर आचरण कर राष्ट्र-धर्म रक्षा का कार्य भी किया है ।

आंतरिक आनंद, संतोष एवं ‘श्रीकृष्णजी की सेवा’ के भाव से नृत्य करनेवालीं देहली की प्रसिद्ध भरतनाट्यम्‌ नृत्यांगना एवं नृत्यगुरु पद्मश्री श्रीमती गीता चन्द्रन् !

२६.१०.२०२२ को महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय की साधिका संगीत विशारद एवं संगीत समन्वयक सुश्री (कु.) तेजल पात्रीकर (आध्यात्मिक स्तर ६२ प्रतिशत) ने देहली की प्रसिद्ध भरतनाट्यम् नृत्यांगना एवं कर्नाटक की गायिका पद्मश्री श्रीमती गीता चन्द्रन से भेंटवार्ता की ।

अंतर्मन को सुसंस्कारी बनानेवाली हिन्दी पाक्षिक ‘सनातन प्रभात’ संबंधी सेवा !

‘सनातन प्रभात’ नियतकालिकों के माध्यम से विगत अनेक वर्षों से समाजप्रबोधन किया जा रहा है । ‘सनातन प्रभात’ नियतकालिकोंद्वारा ‘राष्ट्र एवं धर्म पर हो रहे प्रहार, संतों का मार्गदर्शन, साधकों को हुई अनुभूतियां, सूक्ष्म ज्ञान’ आदि के संबंध में विविध लेखों के माध्यम से समाज के व्यक्तियों का मार्गदर्शन किया जाता है एवं उन्हें साधनाप्रवण किया जाता है ।

हिन्दी पाक्षिक ‘सनातन प्रभात’ से संबंधित सेवा करते समय ‘परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी साथ हैं’, इसके संदर्भ में साधिका को हुई अनुभूतियां

‘नवंबर २०२१ में मेरी सहसाधिका दीपावली के निमित्त घर गई थी । उस समय हिन्दी पाक्षिक ‘सनातन प्रभात’ से संबंधित ‘नियोजन, संकलन, संरचना करने तथा पाक्षिक छपाई के लिए भेजने’ की सेवाएं करते समय मुझे हुई अनुभूतियां यहां प्रस्तुत हैं ।

साधको, ‘आध्यात्मिक कष्ट के कारण नहीं, अपितु स्वयं में विद्यमान स्वभावदोषों एवं अहं के पहलुओं के कारण चूकें हो रही हैं’, इसे ध्यान में लेकर उनके निर्मूलन के लिए प्रयास कीजिए !

‘अनेक साधकों को तीव्र अथवा मध्यम स्तर का आध्यात्मिक कष्ट है । ‘व्यष्टि अथवा समष्टि साधना में चूकें होने पर कुछ साधकों के मन में ‘मुझे हो रहे आध्यात्मिक कष्ट के कारण यह चूक हुई’, यह विचार आ रहा है, ऐसा ध्यान में आया है ।

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी ने ‘साधना के आरंभिक काल में विभिन्न प्रसंगों के माध्यम से कैसे तैयार किया ?’, इस विषय में श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली मुकुल गाडगीळजी द्वारा चुने क्षण मोती !

जब साधना आरंभ की, उस समय मुझे परात्पर गुरुदेवजी का प्रत्यक्ष सान्निध्य मिला । ‘उस समय उन्होंने मुझे कैसे तैयार किया ?’, उसके कुछ चुनिंदा प्रसंग यहां बताती हूं ।

पापोंपर प्रायश्चित्त

आत्मज्ञानसे संचित कर्मफल नष्ट होते हैं ।’, इस पूर्वमें लिखे लेखमें गीता और उपनिषदोंने बताये, कर्मफल नष्ट करनेके उपाय स्पष्ट किये हैं । वे श्रुतिग्रंथोंपर आधारित हैं ।

आध्यात्मिक पीडाओंके निवारण हेतु उपयुक्त सनातनका ग्रन्थ !

किसी व्यक्ति की कुदृष्टि उतारने से उसे कौनसे लाभ होते हैं ?

भावविभोर होकर नृत्य करनेवालीं तथा नृत्यकला से दैवी आनंद का अनुभव करनेवालीं देहली की कत्थक नृत्यांगना श्रीमती शोभना नारायण !

‘४०-५० वर्षाें से अधिक संगीत के लिए समर्पित इन कलाकारों की ‘संगीत साधना’ अगली पीढी के लिए मार्गदर्शक सिद्ध हो’, इस उद्देश्य से महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय की ओर से इन कलाकारों के साथ संवाद किया गया ।

धार्मिक कृतियोंका ज्ञान और आत्मज्ञानका अंतर

ग्रंथ पढकर अथवा गुरुओंसे सीखकर धार्मिक कृतियोंका ज्ञान हुवा तो भी उनका कार्य शेष रहता है । जपका मंत्र, संख्या आदि जाना तो भी आगे प्रत्यक्ष जप करना और उसका फल पाना शेष रहता है तथा जप पुन: पुन: प्रतिदिन करना होता है ।