देवताओं की उपासना भक्ति भावसे करें !

शक्ति शब्दका क्या अर्थ है, शक्तिद्वारा धारण किए ३ मुख्य रूप एवं उनकी विशेषताएं कौनसी हैं, श्री लक्ष्मी एवं दुर्गा, पार्वती एवं काली माता आदि की क्या विशेषताएं हैं, आदि प्रश्नोंके उत्तर इस ग्रन्थमें दिए हैं ।

नवधाभक्ति – एक विश्लेषण

भक्तिमार्गमें नवधाभक्तिका उल्लेख है । श्रवण, कीर्तन, स्मरण, पादसेवन, अर्चन, वंदन, दास्य, सख्य और आत्मनिवेदन (टिप्पणी), ये हैं वे भक्तिके नौ प्रकार ।

मृत्युपरान्त धार्मिक विधियोंका अध्यात्मशास्त्र समझ लें !

श्राद्धविधिसे पितृऋणसे कैसे मुक्त होते हैं ? श्राद्धमें जनेऊ दाहिने कंधेपर क्यों लें ?

आगामी आपातकाल में सहायता का वरदान प्रमाणित होनेवाली सनातन की महत्त्वपूर्ण ग्रंथसंपदा !

सनातन संस्था ने ‘आपातकाल में संजीवनी सिद्ध होनेवाली ग्रंथमाला’ बनाई है । इस ग्रंथमाला से सीखी हुई उपचार-पद्धतियां केवल आपातकाल की दृष्टि से ही नहीं, अपितु अन्य समय भी उपयुक्त हैं; क्योंकि वे मनुष्य को स्वयंपूर्ण और कुछ मात्रा में परिपूर्ण भी बनाती हैं ।

सनातन की ग्रंथमाला ‘भावजागृति हेतु साधना’

बालभाव में साधक का भाव बालक की भांति निर्मल होता है । विविध कृत्य करते समय ‘स्वयं छोटी बच्ची हूं और मेरे साथ श्रीकृष्ण हैं’, ऐसा साधिका का भाव इस ग्रंथमें दिए इन चित्रोंसे प्रतीत होता है ।

‘आपातकाल से पूर्व ग्रंथों के माध्यम से अधिकाधिक धर्मप्रसार हो’, इस कार्य में लगन से सम्मिलित होनेवालों पर परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी की अपार कृपा होगी !

ग्रंथकार्य में सम्मिलित होने की इच्छा रखनेवाले, ग्रंथनिर्माण की सेवा करनेवाले, ग्रंथों का प्रसार करनेवाले, ग्रंथों के लिए अर्पण संकलित करनेवाले एवं ग्रंथों का वितरण करनेवाले सभी को साधना का यह अपूर्व स्वर्णिम अवसर प्राप्त हुआ है ।

सनातन की ग्रंथमाला : राष्ट्र एवं धर्म रक्षा

‘धर्म’ राष्ट्र का प्राण है। राष्ट्र एवं धर्म रक्षा करनी हो, तो उस विषय में समाज में वैचारिक क्रांति की ज्वाला भड़काना आवश्यक है। ऐसी वैचारिक क्रांति से प्रेरित समाज ही अपनी, अपने परिवार की, समाज की और राष्ट्र की रक्षा करेगा, यह बतानेवाली ग्रंथमाला !

सनातन की ग्रंथमाला

‘हिन्दू राष्ट्र’ अर्थात छत्रपति शिवाजी महाराज के ‘हिन्दवी स्वराज्य’ समान राज्य ! हिन्दू राष्ट्र में भारत की आंतरिक और बाह्य समस्याएं दूर होंगी !

‘आगामी आपातकाल की संजीवनी’ शृंखला के ग्रंथ ! नामजप-उपचार (३ खण्‍ड)

देवता का नामजप उपासना तथा विकारों के निर्मूलन के लिए भी उपयुक्‍त होता है । नामजप करने से शरीर में संबंधित देवता के विशिष्‍ट कंपन उत्‍पन्‍न होते हैं ।

सनातन ग्रंथमाला : परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवलेजी का विविधांगी कार्य, विचार एवं छायाचित्रमय जीवनदर्शन

शीघ्र ईश्वरप्राप्ति हेतु ‘गुरुकृपायोग’ साधनामार्ग की निर्मिति; साधना, राष्ट्र-धर्म आदि के विषय में ग्रंथसंपदा; आध्यात्मिक शोध; हिन्दू-संगठन; महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय इत्यादि विविधांगी कार्याें की संक्षिप्त जानकारी देनेवाला ग्रंथ !