फ्रान्स के राष्ट्रपति के द्वारा जर्मनी के चान्सलर का भारतीय पद्धति से हाथ जोडकर ‘नमस्ते’ बोलकर स्वागत !

कोरोना के कारण सामाजिक दूरी रखी जा रही है तथा उसका पालन सामान्य नागरिक से लेकर देश के प्रमुखों तक किया जा रहा है ।

‘महर्षि अध्‍यात्‍म विश्‍वविद्यालय’ को चित्रीकरण के लिए जंक्‍शन बॉक्‍स तथा अन्‍य उपकरणों की आवश्‍यकता !

‘रामनाथी (गोवा) के सनातन आश्रम में ‘महर्षि अध्‍यात्‍म विश्‍वविद्यालय’ द्वारा विशेषतापूर्ण घटनाआें का चित्रीकरण कर अनुसंधानात्‍मक अध्‍ययन किया जा रहा है । अत्‍याधुनिक तंत्रज्ञान की सहायता से चित्रीकरण करने से वे आगे के समय के लिए अधिक उपयुक्‍त हो सकते हैं ।

‘आईआईटी इंदौर’ में संस्कृत भाषा में पढाया जा रहा है प्राचीन भारतीय विज्ञान !

‘आईआईटी इंदौर’ में छात्रों को संस्कृत भाषा में प्राचीन भारतीय विज्ञान की शिक्षा दी जा रही है । इसके लिए पूरे विश्व के ७५० से अधिक छात्रों ने प्रवेश लिया है ।

हिन्‍दू जनजागृति समिति की ओर से आयोजित ‘अर्बन नक्‍सलवाद और अपरिचित डॉ. दाभोलकर’ विषय पर ‘ऑनलाइन’ परिचर्चा

पुणे (महाराष्‍ट्र) – ‘कोरोना के विषाणु शरीर में प्रवेश कर हमारी ही कोशिकाआें को कोरोना विषाणुआें में परिवर्तित कर अपनी संख्‍या बढाते हैं ।

सरकार की ओर से गुणवत्तापूर्ण ‘मास्‍क’ उपलब्‍ध न करवाना और उसके संदर्भ में जागृति न लाना कोरोना संक्रमण रोकने में बनी एक बाधा !

राज्‍य में बडी मात्रा में रुमाल, सूती कपडा अथवा विषाणु को रोकने की गुणवत्ता रहित ‘मास्‍क’ का उपयोग किया जा रहा है । इसके कारण कोरोना प्रकोप बढने की संभावना है ।

मेवात (हरियाणा) के हिन्‍दुओं पर हो रहे अमानवीय अत्‍याचार !

‘हरियाणा का मेवात पिछडी जाति के लोगों के लिए कब्रिस्तान बन गया है’, सेवानिवृत्त न्यायाधीश पवन कुमार ने यह टिप्पणी की है ! पत्रकार स्वाती गोयल शर्मा से चर्चा करते समय, ‘मेवात में हिन्दुओं पर औरंगजेब के काल जैसे ही अत्याचार हो रहे हैं’ ।

कोरोना, श्राद्धकर्म और अवसरवादी प्रवृत्तिवाले नास्तिकतावादी !

कोरोना की आड में आजकल नास्‍तिकतावादी हिन्‍दू धर्म को लक्ष्य करने का एक भी अवसर नहीं छोडते । आजकल श्राद्धकर्म को लक्ष्य कर उसके विरुद्ध नास्‍तिकों का एक वॉट्‍सएप संदेश प्रसारित हो रहा है, हाल ही में एक धर्मनिष्‍ठ व्‍यक्‍ति ने इसकी जानकारी दी है । …

पितृपक्ष में शास्त्रोक्त पद्धति से महालय श्राद्धविधि करने का महत्त्व समझे और ‘कोरोना’ महामारी की पृष्ठभूमि पर शास्त्र के विधान के अनुसार निम्नांकित पद्धति से श्राद्धविधि करें !

पितृपक्ष के काल में कुल के सभी पूर्वज अन्‍न एवं जल (पानी) की अपेक्षा लेकर अपने वंशजों के पास आते हैं । पितृपक्ष में पितृलोक पृथ्‍वीलोक के सर्वाधिक निकट आने से इस काल में पूर्वजों को समर्पित अन्‍न, जल और पिंडदान उन तक शीघ्र पहुंचता है ।

पितृपक्ष (महालय पक्ष) (आरंभ : २ सितंबर)

पितृपक्ष में दत्तात्रेय देवता का नाम जपने का महत्त्व : पितृपक्ष में ‘श्री गुरुदेव दत्त’ नामजप अधिकाधिक करने से पितरों को गति प्राप्‍त होने में सहायता मिलती है ।