‘हरियाणा का मेवात पिछडी जाति के लोगों के लिए कब्रिस्तान बन गया है’, सेवानिवृत्त न्यायाधीश पवन कुमार ने यह टिप्पणी की है ! पत्रकार स्वाती गोयल शर्मा से चर्चा करते समय, ‘मेवात में हिन्दुओं पर औरंगजेब के काल जैसे ही अत्याचार हो रहे हैं’, न्यायाधीश पवन ने ऐसी प्रतिक्रिया दी । मई २०२० में हरियाणा के नूह जनपद अर्थात पुराने मेवात की पिछडी जाति की अल्पायु हिन्दू लडकी पर बलात्कार की घटना सामने आई है । इसके पश्चात एक समिति स्थापित की गई जिसके प्रमुख न्यायमूर्ति पवन कुमार हैं । प्रत्यक्ष देखने पर उनके ये उद्गार रोंगटे खडे करनेवाले हैं । मेवात की पिछडी जाति की स्थिति देखकर उन्होंने कहा, ‘उनकी स्थिति पाकिस्तान के हिन्दुओं से भी भयानक है !’
मेवात में धर्मांधों की संख्या अधिक है । ऐसे दुष्कृत्यों के कारण मेवात सदैव चर्चा में रहा है । मेवात जनपद में सब मिलाकर ५०० गांव हैं । इनमें से १०४ गावों से हिन्दुओं को बाहर निकलना पडा है । ८४ गांवों में अधिक से अधिक ४ – ५ की संख्या में हिन्दू रह रहे हैं । यहां किसी के पास हिन्दुओं का अभियोग सुनने के लिए समय नहीं है । उनके अभियोग प्रविष्ट करने में पुलिस और प्रशासन टालमटोल करते हैं । इस विषय में संयुक्त हिन्दू संघर्ष समिति के अध्यक्ष महावीर भारद्वाजजी ने ‘ओपीइंडिया’ जैसे जालस्थल (वेबसाइट) पर बोलते समय जो जानकारी दी, उसे समझने पर लगता है, ‘कहीं हम सचमुच पाकिस्तान में तो नहीं रह रहे ?’ उनके कथन के अनुसार धर्मांधों द्वारा महिलाओं और बालिकाओं पर होनेवाले बलात्कार मेवात में सामान्य सी बात हो गई है । उनका अभियोग प्रविष्ट किया जाए, ऐसा किसी को भी नहीं
लगता । अतः इससे धर्मांधों को खुली छूट मिली हुई है ।
१. मेवात में हिन्दुओं पर हुए अत्याचारों की घटनाएं
अ. वर्ष २०१७ में मेवात मॉडेल स्कूल में हिन्दुओं का धर्मांतरण करने के लिए बलप्रयोग करना, उन्हें नमाज पढने के लिए विवश करने जैसे विक्षोभक प्रकरण सामने आए । राष्ट्रीय स्तर पर यह विषय उठाने के कारण वहां के एक शिक्षक मोईनुद्दीन और वॉर्डन को पदच्युत किया गया ।
आ. वर्ष २०१८ में नूह की एक १६ वर्षीय युवती पर गांव के ८ लोगों ने बलात्कार किया और उसे रक्तरंजित अवस्था में उसके घर के बाहर फेंक दिया । तत्पश्चात इस लडकी ने आत्महत्या कर ली थी ।
इ. वर्ष २०१८ में हुई और एक घटना में नगीना खंड गाव के इस्लाम नामक युवक किशन नाम के युवक को धर्मांतरित होने के लिए दबाव डाल रहा था उसके और उसके परिवार के बारंबार मना करने पर भी इस्लाम और उसके मित्रों ने मिलकर इस परिवार पर आक्रमण किया । उस समय उन धर्मांधों ने जातिवाचक अपशब्द कह कर उन्हें अपमानित किया ।
ई. वर्ष २०१८ में ही घरेलु कलह के कारण घर से भागी मेवात की पिछडी जाति की एक बालिका को फरजाना नामक महिला भगाकर मध्यप्रदेश ले गई । वहां उसे गोमांस खिलाकर उस पर धर्मांतरण करने हेतु बलप्रयोग किया । इतना ही नहीं, अपितु उसे ४० सहस्र रुपए में बेचने की योजना बनाई । उसी वर्ष भंडका गांव की पिछडी जाति की एक बालिका जब घर में सोई थी; तब ३ युवकों ने घर में घुसकर उसका बलात्कार किया । उस समय वह चिल्लाने न पाए, इसलिए उसके मुख में कपडा ठूंस दिया था ।
उ. वर्ष २०१९ में मेवात की पिछडी जाति की एक युवती को दो युवक भगाकर ले गए और उस पर कुछ टोना टोटका, काला जादू आदि प्रयोग किए तथा उन्होंने उस पर धर्मांतरण के लिए दबाव डाला । यह घटना सामने आते ही इस ‘लव जिहाद’ के विरुद्ध आंदोलन के रूप में गुरुग्राम-अलवर राष्ट्रीय महामार्ग ११ घंटे रोका गया था ।
२. हिन्दुओं पर हो रहा अन्याय हृदयविदारक और द्वेषवर्धक
उपर्युक्त दुष्कृत्यों की सूची केवल सामने आई घटनाओं की है । आज तक इस क्षेत्र की माता-भगिनियों को और कितने अत्याचार सहने पडे होंगे, इसकी कल्पना भी नहीं कर सकते । स्वतंत्र भारत में और धर्मनिरपेक्ष संविधान स्वीकारने पर भी ऐसे हृदयविदारक और द्वेषवर्धक दृश्य दिखाई दें, तो क्या कहें ? इन सभी अत्याचारों की जांच ठीक से हो; इसके लिए ‘हरियाणा श्री वाल्मीकि महासभा’ ने जांच समिति को निमंत्रण दिया था ।
न्यायमूर्ति पवन कुमार ने अभियोग सुनने हेतु ४८ पीडितों को बुलावा भेजा था । उनमें से केवल १९ लोग ही उन्हें मिलने आए; अन्य पीडितों के मन में इतना डर बैठा था कि वे आए ही नहीं । यह सारा चित्र हृदयविदारक और संतापजनक है ।
कहां अमेरिका में एक जॉर्ज फ्लॉइड के वर्णद्वेष पर बलि चढते ही पूरे विश्व में ‘ब्लैक लाईव्ज मैटर’ कहते हुए प्रदर्शन होने लगते हैं, तो कहां वर्षाें से मेवात में माता-भगिनियों द्वारा पाशवी अत्याचार सहते हुए भी कोई उस पर बोलने-लिखने को तैयार नहीं होता ।
३. मेवात की पिछडी जाति के हिन्दुओं के सामने मारे-मारे फिरने की स्थिति आने की विदारक स्थिति !
आज कोई भी लेखक वर्तमान में पिछडी जाति के लोगों पर हो रहे अन्याय के विरुद्ध एक अक्षर भी नहीं लिखते । ‘अत्याचारी कौन है’ यह कहने से क्या उनकी भूमिका को ठेस पहुंचती है ? उसका पंथ तथा जाति देखने के उपरांत ही अपनी भूमिका अपनाने की मानसिकता हमने अपने अंदर इतनी समाहित कर ली है कि मेवात में हो रहे अत्याचार हमें दिखाई नहीं देते । अत्याचारों में भी अपनी सुविधा देखने के पश्चात टिप्पणी करने की दांभिक वृत्ति से मन निराश होता है । एक समय में इसी दांभिक वृत्ति के कारण कश्मीरी हिन्दू पंडितों पर घर-बार छोडकर अपने ही देश में शरणार्थी के रूप में जीवन व्यतीत करने की स्थिति आ गई ।
आज मेवात के हिन्दू बांधव का भी वैसे ही निष्कासित होने का विदारक चित्र है । अत्याचारी व्यक्ति किसी भी पंथ-जाति का क्यों न हो, अपराध सिद्ध होते ही अन्य किसी दबाव में न आकर उसे दंडित करने पर ही, यह स्थिति परिवर्तित होगी और मेवात की माता-भगिनियों को न्याय मिलेगा !
– व्याख्याता और लेखक वैद्य परीक्षित शेवडे, डोंबिवली
(साभार : दैनिक ‘तरुण भारत’, २१.६.२०२०)