नागपंचमी
इतिहास : सर्पयज्ञ करनेवाले जनमेजय राजा को आस्तिक नामक ऋषि ने प्रसन्न कर लिया था । जनमेजय ने जब उनसे वर मांगने के लिए कहा, तो उन्होंने सर्पयज्ञ रोकने का वर मांगा एवं जिस दिन जनमेजय ने सर्पयज्ञ रोका, उस दिन पंचमी थी ।
इतिहास : सर्पयज्ञ करनेवाले जनमेजय राजा को आस्तिक नामक ऋषि ने प्रसन्न कर लिया था । जनमेजय ने जब उनसे वर मांगने के लिए कहा, तो उन्होंने सर्पयज्ञ रोकने का वर मांगा एवं जिस दिन जनमेजय ने सर्पयज्ञ रोका, उस दिन पंचमी थी ।
कोरोना महामारी से उत्पन्न आर्थिक मंदी और मानसिक तनाव का सामना करने के लिए समाज का मनोबल बढे, इसके लिए रष्ट्र और धर्म के हित का विचार करनेवाले उद्योगपतियों का एकजुट होना काल की आवश्यकता है । उद्योगपति परिषद इस दृष्टि से प्रयत्न कर रही है; इसमें आप भी सम्मिलित हों ।
संत प्राय: किसी एक योगमार्ग से साधना करते हैं; किंतु सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी ज्ञानयोग, कर्मयोग और भक्तियोग, इन तीनों मार्गों से साधना करते हैं ! उनकी शीघ्र प्रगति का मुख्य कारण यह है कि अध्यात्म की जो बातें समझीं, उनका उन्होंने तुरंत पालन किया ।
‘आजकल चीन, पाकिस्तान, नेपाल और बांग्लादेश की ओर से भारतविरोधी गतिविधियां बढी हैं । शत्रु राष्ट्रों की शरारतों के कारण तीसरा विश्वयुद्ध कभी भी भडक सकता है, यह स्थिति है ।
गुरुकृपा अर्थात गुरु की छत्रछाया ! यह छत्रछाया साधकों के लिए एक प्रकार का रक्षाकवच है । साधकों का गुरुदेवजी की छत्रछाया में रहना अत्यंत महत्त्वपूर्ण है । गुरुदेव ने अब अपने दोनों आध्यात्मिक उत्तराधिकारियों को अपनी शक्ति दी है ।
आजकल संपूर्ण पृथ्वी पर ‘कोरोना’ विषाणुरूपी संकट मंडरा रहा है । यह संकटकाल ही है । इसके कारण विश्व के सभी राष्ट्र, समाज के लोग भय और चिंता से ग्रस्त हैं । कई करोड लोग केवल एक बार का भोजन कर पा रहे हैं, तो अनेक लोगों के घर भी नहीं रह गए हैं ।
‘‘हमारे राष्ट्र का प्रातिनिधिक स्वरूप है परात्पर गुरु डॉक्टरजी का शरीर ! परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी ने बहुत पहले ही कहा है, ‘जिस समय हिन्दू राष्ट्र की स्थापना होकर राष्ट्र को स्थिरता प्राप्त होगी, उस समय मेरे सभी कष्ट समाप्त हो जाएंगे और मैं स्वस्थ हो जाऊंगा’ ।’’
परात्पर गुरु डॉक्टरजी ने ‘ईश्वरप्राप्ति हेतु कला’ के माध्यम से कला के सात्त्विक प्रस्तुतीकरण संबंधी मार्गदर्शन किया ।उसके साथ ही अखिल मानवजाति के लिए उपयुक्त ‘धरोहर’ के रूप में साधकों द्वारा किया जा रहा ध्वनिचित्रीकरण अच्छा होने के लिए परात्पर गुरु डॉक्टरजी ध्वनिचित्रीकरण और ध्वनिचित्र-संकलन करनेवाले साधकों को उपयुक्त सुधार बताते हैं ।
मुंबई – स्पिरिच्युअल साइंस रिसर्च फाउंडेशन द्वारा (एसएसआरएफ) विदेश में ८ स्थानों पर गुरुपूर्णिमा उत्सव भावपूर्ण वातावरण में मनाया गया । कोरोना महामारी की पृष्ठभूमि पर कुछ स्थानों पर ‘ऑनलाइन’ गुरुपूर्णिमा महोत्सवों का आयोजन किया गया था ।
रामनाथी आश्रम में कुछ साधकों को एरोमाथेरेपी सिखाई जा रही थी । पू. मेनरायजी उस विषय में जिज्ञासा से प्रश्न पूछते हैं और मुझे भी यह थेरेपी सीखनी है, ऐसा कहते हैं । वे हिन्दी भाषी हैं तथा उन्हें मराठी नहीं आती । अधिकतर साधक मराठी भाषी हैं; इसलिए उनके साथ मराठी मेें बात करने के लिए वे मराठी सीख रहे हैं ।